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एलन मस्क ने X की मोनेटाइजेशन पॉलिसी में किया बड़ा बदलाव! क्रिएटर्स की इनकम पर आया ये अपडेट

X New Monetization Policy: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने अपने क्रिएटर्स के लिए मोनेटाइजेशन पॉलिसी में बदलाव करने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद अब यूजर्स की विज्ञापनों पर निर्भरता कम होगी. दरअसल, पहले क्रिएटर्स को उनके पोस्ट में दिखाए गए विज्ञापनों से होने वाली कमाई का हिस्सा मिलता था, लेकिन अब कंपनी ने अपनी रणनीति बदल दी है. क्रिएटर्स को भुगतान उनके कंटेंट पर X के प्रीमियम यूजर्स से मिलने वाले इंटरैक्शन के आधार पर दिया जाएगा. 

X की तरफ से आया बदलाव

X की तरफ से बदलाव उस समय आया है, जब कंपनी को विज्ञापनदाताओं के साथ बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ रहा है. इसमें एक ग्रुप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शामिल है. इस ग्रुप ने प्लेटफॉर्म का बहिष्कार किया था. इसका सीधा मतलब है कि क्रिएटर्स को अब उन पोस्टों के लिए भुगतान मिलेगा, जिन पर अधिक इंगेजमेंट आती है.

क्रिएटर के पेडआउट प्रतिशत में बदलाव होगा या नहीं, ये तय नहीं

हालांकि, X ने ये स्पष्ट नहीं किया है कि क्रिएटर के पेडआउट प्रतिशत में बदलाव होगा या नहीं. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पोस्ट पर इंगेजमेंट बढ़ने से भुगतान में वृद्धि हो सकती है, जिससे यूजर्स को केवल  विज्ञापनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. साथ ही अब क्रिएटर्स पहले से ज्यादा कमाई कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. बता दें कि इस मोनेटाइजेशन पॉलिसी में आगे और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं. 

क्रिएटर्स की चिंता होगी दूर

एक्स की ये नई पॉलिसी उन क्रिएटर्स की चिंता दूर कर सकता है, जिन्होंने अपनी कमाई के हिस्से में कमी की शिकायत की थी. इसके अलावा, प्रीमियम सब्सक्राइबर्स को कम विज्ञापन देखने को मिलते हैं. साथ ही प्रीमियम+ टियर पर बिलकुल भी विज्ञापन नहीं होते. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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