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ऋचा चड्ढा ने अली फजल संग इंटर रिलीजन मैरिज पर तोड़ी चुप्पी, बोलीं- ‘इंसान पहले इंसान है’

Richa Chadha On Inter Religion Marriage: बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा प्रेग्नेंट हैं और बहुत जल्द अपने पहले बच्चे का वेलकम करने वाली हैं. एक्ट्रेस ने साल 2020 में एक्टर अली फजल से शादी की थी और अब चार साल बाद कपल पेरेंट्स बनने जा रहा है. इन दिनों ऋचा सीरीज ‘हीरामंडी’ में अपने किरदार को लेकर चर्चा में हैं और इस बीच उन्होंने अली फजल संग अपनी इंटर रिलीजन मैरिज पर बात की है.

गलट्टा इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में ऋचा चड्ढा ने कहा- ‘अगर आप अपनी पसंद के साथ बने रहते हैं और आपकी फैमिली आपके साथ है और आपका सपोर्ट कर रहे हैं तो कोई और सच में मायने नहीं रखता. और जैसा कि मैंने कहा कि एक इंसान पहले एक इंसान होता है और जब आप प्यार में पड़ जाते हैं, तो आपकी तलाश में कोई फिल्टर नहीं होता है.जब आप प्यार में पड़ते हैं तो यही होता है.’

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‘मैं नहीं चाहती थी कि मेरी फैमिली को प्रेस से पता चले…’
ऋचा चड्ढा ने आगे ये भी बताया कि कैसे वे और अली फजल तब तक एक-दूसरे के साथ बाहर नहीं आए जब तक उन्हें ये नहीं लगा कि अब वे अपने रिश्ते के बारे में अपनी फैमिली से बात कर सकते हैं. उन्होंने कहा- ‘मैं नहीं चाहती थी कि मेरी फैमिली को प्रेस से पता चले. आप जानते हैं कि हमारी भी फैमिली हैं. जब मैं घर पर अपनी फैमिली के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार थी, तब मैंने सोचा कि मैं अभी बाहर आऊंगी.’

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स्पेशल मैरिज एक्ट से शादी के बंधन में बंधे ऋचा-अली
बता दें कि ऋचा चड्ढा और अली फजल अलग-अलग धर्मों से आते हैं. जहां ऋचा पंजाबी हैं तो वहीं अली मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. ऋचा और अली ने 2020 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की थी. इस बात का खुलासा खुद एक्ट्रेस ने न्यूज 18 से बात करते हुए किया था. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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