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दुर्गा पूजा पंडाल में पैपराजी पर जमकर भड़कीं Kajol, गुस्से में बोलीं- ‘साइड हटो…’

Kajol Angry On Paparazzi: पूरे देश में इन दिनों दुर्गा पूजा (Durga Puja 2024) की धूम देखने को मिल रही है. हर साल की तरह इस साल भी बॉलीवुड में बड़े ही धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाई जा रही है. काजोल (Kajol) और रानी मुखर्जी (Rani Mukerji) ने भी दुर्गा पंडाल सजाया, जिसमें मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने कई बड़े सितारे पहुंच रहे हैं. अब दुर्गा पूजा से काजोल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में काजोल पैपराजी पर भड़कती नजर आ रही हैं. इस वीडियो में काजोल पैप्स पर अपना गुस्सा निकाल रही हैं.

पैप्स पर भड़कती दिखी काजोल (Kajol)

काजोल के इस वीडियो को पैपराजी के इंस्टाग्राम पेज पर शेयर किया गया है. इस वीडियो में काजोल योल और रेड कलर की प्रिंटेड साड़ी पहनें नजर आ रही हैं, जिसमें वह बेहद ही खूबसूरत लग रही हैं. वीडियो में काजोल पैपराजी से कह रही हैं, ‘कुछ लोग आपके पीछे खड़े हैं अंजलि देने के लिए. प्लीज साइड हो जाइये, आप लोग हट जाइये यहां से. अंजलि देने के लिए लोगों को आने दीजिए.’ वीडियो में काजोल भड़की हुई नजर आ रही हैं. काजोल के इस वीडियो पर लोग खूब रिएक्ट कर रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

काजोल का वीडियो

काजोल के वीडियो पर लोगों के रिएक्शन

काजोल के इस वीडियो के सामने आने के बाद लोग उन्हें खूब ट्रोल कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, ‘धीरे धीरे ये भी जया बच्चन का अवतार ले रही है.’ तो वहीं एक दूसरे यूजर ने लिखा, ‘ये भी जया बच्चन से कम नहीं है.’ एक और यूजर ने लिखा, ‘जया बच्चन की बहू यही होनी चाहिए थी.’ एक और यूजर ने काजोल को खरी-खोटी सुनाते हुए लिखा, ‘ये तो जया बच्चन 2’ है. वर्क फ्रंट की बात करें तो एक्ट्रेस काजोल आखिरी बार ‘लस्ट स्टोरीज 2’ फिल्म में नजर आई थीं. इस फिल्म में काजोल के साथ तमन्ना भाटिया, मृणाल ठाकुर, विजय वर्मा समेत इंडस्ट्री की कई मशहूर हस्तियां मौजूद थीं. इस फिल्म को आप नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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