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अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट इस जगह मनाएंगे अपना हनीमून! हो गई है पूरी तैयारी

एशिया के नंबर वन बिजनेस टायकून मुकेश अंबानी के लाडले अनंत अंबानी ने 12 जुलाई को राधिका मर्चेंट (Radhika Merchant) से शादी रचाई थी, जिसमें देश के साथ-साथ दुनियाभर की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुई थीं। अनंत और राधिका के प्री-वेडिंग की शुरुआत कई महीने पहले हो गई थी। वहीं इस बिग फैट ग्रैंड वेडिंग के बाद अब हर कोई यह जाना चाहता है कि अनंत और राधिका अपने हनीमून के लिए कहां जा सकते हैं? बॉलीवुडलाइफ की इस रिपोर्ट में उन 7 जगहों की लिस्ट दी गई है, जहां अनंत और राधिका अपने हनीमून के लिए जा सकते हैं।

इन 5 जगहों में से किसी एक जगह पर हनीमून के लिए जा सकते हैं अनंत-राधिका

रिपोर्ट्स की मानें तो अनंत (Anant Ambani) और राधिका (Radhika Merchant) ने अपने हनीमून के लिए खास प्लानिंग कर रखी है। अनंत और राधिका दोनों को ही जानवरों से बहुत प्यार है, ऐसे में दावा किया जा रहा है कि अंबानी परिवार के चश्मो चिराग अपनी पत्नी के साथ हनीमून के लिए दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क जा सकते हैं। कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है अनंत और राधिका अपने हनीमून के लिए स्विट्जरलैंड भी जा सकते हैं।

शांत जगह पर हनीमून के लिए जा सकते हैं अनंत और राधिका

खबरों की मानें तो अनंत और राधिका मर्चेंट ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में भी हनीमून के लिए जा सकते हैं। यह आइलैंड प्यूर्टो रिको के पूर्व में कैरिबियन में स्थित है। इस आइलैंड पर कई शानदार होटरल और हनीमून रिसॉर्ट्स स्थित हैं। फिजी आइलैंड का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। अनंत और राधिका अपने हनीमून के लिए फिजी आइलैंड को भी चुन सकते हैं। इसके अलावा बोरा-बोरा आइलैंड पर भी ये दोनों अपना हनीमून मनाने के लिए जा सकते हैं। बता दें कि अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट बचपन के दोस्त हैं और दोनों के प्यार की शुरुआत भी बचपन से ही हो गई थी। आकाश अंबानी और ईशा अंबानी की शादी में भी राधिका मर्चेंट मौजूद थीं। ईशा की शादी में तो श्लोका और राधिका मिलकर अपनी ननद को मंडप तक लेकर आई थीं।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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