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साल में चार फिल्में करने पर ट्रोल करने वालों को अक्षय कुमार ने दिया जवाब, बोले- ‘वो भाग्यशाली ह

Akshay Kumar On Trolls: अक्षय कुमार का करियर पिछले काफी समय से पटरी से उतरा हुआ है. एक्टर की इस साल दो फिल्मों रिलीज हुईं पहली 350 करोड़ी बड़े मिया छोटे मियां बॉक्स ऑफिस पर डिजास्टर साबित हुई तो वहीं लेटेस्ट रिलीज सरफिरा भी फ्लॉप हो चुकी है. इन सबसे बीच अक्षय कुमार ने उन लोगों पर तंज कसा है जो साल में चार से पांच फिल्में करने पर उनकी आलोचना करते हैं.

साल में चार फिल्में करने पर ट्रोल करने वालों को अक्षय का जवाब
कई फ्लॉप फिल्में देने के बावजूद, अक्षय जमकर काम कर रहे हैं. हालांकि उन्हें एक फिल्म पर ध्यान फोकस्ड करने के बजाय साल में कई प्रोजेक्ट करने पर ट्रोल भी किया जाता है. वहीं गजल अलघ के साथ एक बातचीत में, अक्षय ने आलोचना का जवाब देते हुए कहा, “मुझे कहते हैं ये चार फिल्म क्यों करता है साल में… इसको एक फिल्म करनी चाहिए… चलो मैं एक पिक्चर कर लेता हूं बाकी दिन क्या करूंगा? तेरे घर में आऊं? बेटा, याद रखना भाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें काम मिलता है. यहां रोज़ कोई ना कोई बोलता है बेरोज़गारी चल रही है ये चल रहा है वो चल रहा है…जिसको काम मिल रहा है उसको तो करने दो.”

 अक्षय़ की पिछले तीन सालों में बैक टू बैक कई फिल्में रहीं फ्लॉप
बता दें कि सालों तक अक्षय कुमार लगातार हिट फिल्मों के साथ बॉक्स ऑफिस पर छाए रहे हैं. हालांकि, वह इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, उनकी हाल की कई फिल्मों ने खराब परफॉर्म किया है. बता दें कि बॉक्स ऑफिस पर अक्षय कुमार की ओमजी 2 को छोड़कर बैक टू बैक कई फिल्में फ्लॉप साबित हुई हैं. इनमें  “बच्चन पांडे,” “सम्राट पृथ्वीराज,” “रक्षा बंधन,” “कठपुतली,” “राम सेतु,” “सेल्फी,” “मिशन रानीगंज,” “बड़े मियां छोटे मियां” और “सरफिरा” जैसी फिल्में शामिल हैं.

 


फिल्में फ्लॉप होने पर अक्षय ने क्या कहा था?
वहीं फोर्ब्स इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने अपनी हालिया फ्लॉप फिल्मों और असफलता से सीखे गए सबक पर बात की थी. उन्होंने कहा था, “हर फिल्म के पीछे बहुत सारा खून, पसीना और जुनून होता है।.किसी भी फिल्म को असफल होते देखना दिल तोड़ने वाला होता है. लेकिन आपको उम्मीद की किरण देखना सीखना होगा. हर असफलता आपको सफलता का मूल्य सिखाती है और उसके प्रति भूख को और भी बढ़ा देती है. सौभाग्य से, मैंने अपने करियर की शुरुआत में ही इससे निपटना सीख लिया था.

 बेशक, यह आपको दुख पहुंचाता है और प्रभावित करता है, लेकिन इससे फिल्म की किस्मत नहीं बदलेगी. यह ऐसा कुछ नहीं है जो आपके कंट्रोल में है… आपके कंट्रोल में जो है वह है कड़ी मेहनत करना, सुधार करना और अपनी अगली फिल्म के लिए अपना सब कुछ देना. इसी तरह मैं अपनी एनर्जी का इस्तेमाल करता हूं और अगले की ओर बढ़ने की कोशिश करता हूं, अपनी ऊर्जा को वहां केंद्रित करता हूं जहां यह सबसे ज्यादा मायने रखता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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