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क्या खतरे में है Airtel के 37 करोड़ भारतीय यूज़र्स का निजी डाटा? कंपनी ने हैकर्स को दिया जवाब

Airtel User Data: भारत में एयरटेल कंपनी की सर्विसेज़ यूज़ करे वाले यूज़र्स की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में भारत के करोड़ों यूज़र्स का निजी डेटा भी एयरटेल के पास है और अगर एयरटेल के सर्वर से आम लोगों को निजी डेटा लीक हो जाए तो आम यूज़र्स को काफी नुकसान हो सकता है.

एयरटेल पर लगा बड़ा आरोप

शुक्रवार की सुबह ऐसी ही एक ख़बर सोशल मीडिया पर फैली, जिसमें कहा जा रहा था कि चाइनीज़ हैकर्स ने भारती एयरटेल के सर्वर को हैक किया है और उनके यूज़र्स का डेटा डार्क वेब पर बिक्री के लिए छोड़ दिया है. इस ख़बर के फैलते ही यूज़र्स सदमे में आ गए, लेकिन एयरटेल ने कुछ दी देर के बाद एक बयान जारी किया और इस आरोप को सिरे से नाकार दिया. 

एक्स (पुराना नाम ट्विटर) पर एक यूज़र्स ने पोस्ट डाली और उसमें कुछ पिक्चर्स को शेयर करते हुए दावा किया कि चाइनीज़ हैकर्स ने एयरटेल के सर्वर को हैक कर लिया है और करीब 375 मिलियन यानी 37.5 करोड़ यूज़र्स का डाटा चुरा लिया है.

हैकर्स ने एयरटेल यूज़र्स के कई निजी डाटा जैसे कि मोबाइल नंबर, आधार नंबर, घर का पता आदि चुरा लिए हैं और इन डेटा को डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक डार्क वेब पर एयरटेल यूज़र्स के चोरी किए गए डाटा की कीमत 50,000 डॉलर यानी करीब 41 लाख रुपये रखी गई है. इस हैकर ग्रुप का नाम ‘xenZen’ बताया गया है

कंपनी ने किया बड़ा दावा

एयरटेल ने इस आरोप का कड़े शब्दों में खंडन किया है. कंपनी ने बताया है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से फर्ज़ी है. कंपनी के सर्वर पर किसी तरह का कोई साइबर अटैक नहीं हुआ और ना ही किसी भी यूज़र्स का डाटा चोरी हुआ है.

एयरटेल का कहना है कि इस आरोप का मकसद एयरटेल की प्रतिष्ठा को खराब करके निजी फायदा कमाना है. हमने इस मामले की पूरी तरह से जांच कर ली और इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि एयरटेल के सर्वर से किसी भी यूज़र्स का डेटा लीक नहीं हुआ है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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