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Shorts क्रिएटर्स के लिए खुशख़बरी! इस दिन से बना पाएंगे 3 मिनट की लंबी वीडियो, नोट कर लें तारीख

YouTube ने अपने Shorts फीचर में कई अपडेट की घोषणा की है. 15 अक्टूबर से, प्लेटफॉर्म Shorts के लिए वीडियो लिमिट को एक मिनट से बढ़ाकर तीन मिनट कर देगा. यह अपडेट उन शॉर्ट्स पर लागू होगा जो स्क्वायर या टॉलर अस्पेक्ट रेशियो में बनाए जाएंगे. इसके अलावा यह अपडेट 15 अक्टूबर से पहले शूट किए गए वीडियो पर लागू नहीं होगा.

यूट्यूब शॉर्ट्स की टाइमिंग बढ़ी

यह बदलाव क्रिएटर्स को अपनी रचनात्मकता को और अधिक विस्तार से प्रदर्शित करने का मौका देगा. यूट्यूब की लंबी शॉर्ट्स के माध्यम से क्रिएटर्स अपने दर्शकों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे और अपनी कहानियों को अधिक प्रभावी ढंग से साझा कर सकेंगे.

वीडियो लिमिट बढ़ाने के अलावा, यूट्यूब शॉर्ट्स के फीड में कमेंट्स का प्रीव्यू भी पेश कर रहा है. कंपनी यूट्यूब के विभिन्न क्लिप्स को Shorts कैमरा के माध्यम से खींचकर रीमिक्स क्लिप्स बनाने की अनुमति देने पर भी काम कर रही है. यह फीचर पहली बार 2024 की शुरुआत में जारी किया गया था, जिससे उपयोगकर्ता ऑडियो को स्ट्रिप कर सकते हैं, वीडियो को बैकग्राउंड के रूप में उपयोग कर सकते हैं, इसे अपने Shorts में उपयोग के लिए कट सकते हैं, या इसे अपनी क्रिएशन के साथ साइड-बाय-साइड रख सकते हैं.

शॉर्ट्स में मिलेगा नया टूल

यूट्यूब ने एक नया टूल भी पेश किया है जो उपयोगकर्ताओं को कम Shorts दिखाने की अनुमति देगा, जिसे वे ऊपरी दाएं कोने में तीन-डॉट मेनू के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं. आपको बता दें कि यूट्यूब पर शॉर्ट्स बनाने वाले लोग काफी दिनों से इसके टाइम ड्यूरेशन के बढ़ने का इंतजार कर रहे थे. अब आखिरकार यूट्यूब ने लोगों को एक नया गिफ्ट दे दिया है.

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूट्यूब शॉर्ट्स की भारत में सबसे तगड़ी कंप्टीटर यानी इंस्टागाम रील्स के लिए मेटा क्या कदम उठाती है. फिलहाल इंस्टाग्राम पर यूज़र्स अधिकतम 90 सेकेंड्स यानी 1.5 मिनट लंबी वीडियो ही पोस्ट कर कर सकते हैं. ऐसे में देखना होगा कि क्या मेटा भी रील्स के लिए टाइम ड्यूरेशन को बढ़ाती है या नहीं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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