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Youtube Premium प्लान्स की कीमत बढ़ी, जानें नई रेट लिस्ट

Youtube Premium Price Hike: यूट्यूब ने अपने प्रीमियम सब्सक्रिप्शन प्लान्स की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है. इसने भारत के यूट्यूब यूज़र्स को टेंशन में डाल दिया है, क्योंकि अब यूज़र्स को यूट्यूब के प्रीमियम प्लान्स का फायदा उठाने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे.

आपको बता दें कि 2019 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि यूट्यूब प्रीमियम के सब्सक्रिप्शन प्लान की कीमत पहली बार बढ़ाई गई है. आइए हम आपको बताते हैं कि यूट्यूब प्रीमियम प्लान की बढ़ी कीमत से क्या-क्या प्रभाव पड़ सकते हैं.

नई कीमतें और प्लान्स

यूट्यूब प्रीमियम के पर्सनल प्लान की कीमत पहले ₹129 थी, लेकिन अब ₹149 कर दी गई है. 

यूट्यूब प्रीमियम के फैमिली प्लान की कीमत पहले 189 रुपये हुआ करती थी, लेकिन अब कंपनी ने इसकी कीमत 299 रुपये प्रति महीना कर दी है. आपको बता दें कि यूट्यूब प्रीमियम के फैमिली प्लान में 5 लोगों को प्रीमियम सर्विस का फायदा उठाने का मौका मिलता है. 

इसके अलावा यूट्यूब प्रीमियम का स्टूडेंट प्लान की कीमत पहले 79 रुपये हुआ करती थी, लेकिन अब इसकी कीमत 89 रुपये हो गई है.

यूट्यूब प्रीमियम प्लान की बढ़ी हुई इस कीमत को देखकर साफ है कि इसका सबसे बड़ा प्रभाव फैमिली प्लान खरीदने वाले यूज़र्स पर पड़ने वाला है. क्योंकि इस प्लान की कीमत में कंपनी ने 110 रुपये की बड़ी बढ़ोतरी की है.

क्यों बढ़ाई गई कीमत?

यूट्यूब प्रीमियम प्लान्स कीमत बढ़ाए जाने के पीछे कई कारण बताए गए हैं. इसमें सबसे बड़ा कारण यह है कि कंपनी अपने यूज़र्स को बेहतर सर्विस और फीचर्स प्रदान करना चाहती है.

प्रीमियम सब्सक्रिप्शन के तहत यूज़र्स को विज्ञापन-मुक्त वीडियो देखने, बैकग्राउंड प्लेबैक, और ऑफलाइन डाउनलोड जैसी सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा, YouTube Music प्रीमियम का भी लाभ मिलता है, जिसमें 100 मिलियन से अधिक गानों का एक्सेस शामिल है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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