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कौन सा स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं PM मोदी? जानें किन फीचर्स से है लैस

Prime Minister Narendra Modi Smartphone: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असाधारण चीजों के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं. पीएम मोदी को टेक्नोलॉजी से भी काफी लगाव है जिससे वह कई बार सेल्फी लेते हुए भी नज़र आए हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर पीएम नरेंद्रा मोदी कौन सा स्मार्टफोन चलाते होंगे. बता दें कि पीएम मोदी के पास जो फोन है वह काफी एडवांस तकनीक से खास पीएम के लिए तैयार किया गया है. साथ ही इस फोन को ट्रेस और हैक भी नहीं किया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या है इस फोन की खूबियां?

कौन सा फोन चलाते हैं पीएम मोदी

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी जो फोन चलाते हैं, वह एक सरकारी स्तार का हाई सिक्योरिटी फोन है. इस फोन का नाम रूद्रा बताया जाता है. इस हाई सिक्योरिटी वाले फोन को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बनाया गया है. साथ ही ये एक एंड्रॉयड फोन है जिसमें एक खास सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम मिलता है. वहीं यह फोन काफी सुरक्षित और एडवांस सेफ्टी फीचर्स से भी लैस है.

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बात करने के लिए सैटेलाइट या RAX फोन का यूज करते हैं. आपको बता दें कि ये फोन मोबाइल हैंडसेट्स से बिलकुल अलग होता है. इसके साथ ही ये फोन मिलिट्री फ्रीक्वेंसी बैंड पर कार्य करने में सक्षम है. इतना ही नहीं इस फोन को कोई भी हैक या ट्रेस नहीं कर सककता है.

कौन सा है निजी फोन

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कभी-कभी प्रधानमंत्री नरेंद्रा मोदी अपने निजी फोन का भी यूज करते हैं. हालांकि इस फोन के बारे में कोई खास जानकारी साझा नहीं करी गई है. लेकिन पीएम मोदी के पास पिछले साल ही नया सरकारी फोन आया है जिसका नाम रूद्रा 2 है. यह फोन रूद्रा के मुकाबले ज्यादा एडवांस और हाई सिक्योरिटी फीचर्स से लैस है. इस फोन में एक इन-बिल्ट सिक्योरिटी चिप प्रदान कराई गई है. इसकी मदद से ये साइबर हमलों से प्रोटेक्ट करती है. साथ ही इसमें एक विशेष ऑपरेटिंग सिस्टम भी मिलता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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