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क्या वाकई आपका डेटा है सुरक्षित? एलन मस्क के दावे पर WhatsApp ने दिया जवाब

WhatsApp Chief Will Cathcart Respond to Elon Musk: व्हाट्सएप चीफ विल कैथकार्ट ने मंगलवार को यूजर्स का डेटा शेयर करने के एलन मस्क के दावे का खंडन करते हुए कहा कि ये जानकारी बिल्कुल गलत है. दरअसल, पिछले हफ्ते मस्क की ओर से सोशल मीडिया एक्स पर की गई एक पोस्ट में लिखा गया था कि व्हाट्सएप हर रात अपने यूजर्स के डेटा को एक्सपोर्ट करता है, लेकिन लोग अभी भी ये सोचते हैं कि ये पूरी तरह से एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म है.

व्हाट्सएप प्रमुख की ओर से इस दावे का पूरी खंडन किया गया है. उसने मस्क की आलोचना करते हुए कहा कि उनका दावा पूरी तरह से गलत है. कैथकार्ट ने कहा, “कई लोगों की ओर से ऐसा पहले भी कहा जा चुका है, लेकिन मैं आप सभी को दोबारा बताना चाहता हूं कि ये जानकारी सही नहीं हैं. हम यूजर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता पर लेते हैं और इस वजह से हम सभी मैसेज को एंड-टू-एंड इंक्रिप्ट करते हैं. हर रात वे सभी मैसेज हमारे पास नहीं आते हैं.”

यूजर्स ने दिया ये जवाब

कैथकार्ट ने यूजर्स को आगे सलाह देते हुए कहा कि अगर आप अपने मैसेज का बैकअप करना चाहते हैं तो आप अपने क्लाउड प्रदाता की सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें भी आपको एंड-टू-एंड इंक्रिप्शन मिलेगा. कई सोशल मीडिया यूजर्स की ओर से कैथकार्ट की पोस्ट का जवाब दिया गया. एक यूजर ने लिखा कि मस्क ने मैसेज के बारे में कुछ नहीं कहा है, वे तो सिर्फ डेटा के बारे में कह रहे थे. यूजर ने लिखा, “मस्क ने यूजर्स के डेटा के बारे में कहा था. उन्होंने मैसेज को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है.”

अन्य यूजर्स ने कहा, “मेटा के डेटा एक्सपोर्ट करने को लेकर पोस्ट था. मेटा, टेलीकॉम सेवा प्रोवाइडर की तरह सूचना एकत्रित करता है और विल कंटेंट के बारे में बात कर रहे हैं. ये बयान बिना किसी दिशा वाला लग रहा है और यह मेटा के काम करने का तरीका है.” एक अन्य यूजर्स ने लिखा, “आप गुमराह कर रहे हैं. ये यूजर्स के डेटा के बारे में है जिसमें मेटाडेटा शामिल है, न कि मैसेज.”

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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