टैकनोलजी

मोबाइल फोन में भूलकर भी न करें ये काम, वरना जेल भी होगी और जुर्माना भी लगेगा!

Illegal activity on phone: आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है, जिसके जरिए लोग कुछ भी कर सकते हैं. फोन के जरिए लोग कोई भी अच्छा या बुरा काम कर सकते हैं, किसी अच्छे या बुरे काम के बारे में सर्च कर सकते हैं. इसी वजह से एक मोबाइल फोन के कुछ अच्छे और कुछ बुरे यानी दोनों प्रभाव होते हैं. हालांकि, बतौर मोबाइल यूज़र, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने मोबाइल फोन से कानून के दायरे में रहते हुए क्या-क्या कर सकते हैं और क्या-क्या नहीं. 

फोन में कभी न करें ऐसा काम?

टेक्नोलॉजी में विकास से जीवन आसान हुआ है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं. हैकिंग, बैंक खातों में धोखाधड़ी, और बच्चों के लिए पोर्नोग्राफी जैसी समस्याओं में वृद्धि हो रही हैं. कुछ यूज़र्स फोन के जरिए कई गलत एक्टिविटीज़ करते हैं और उन्हें लगता है कि उनके बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. 

यदि आप अपने फोन पर कोई अवैध कार्य करते हैं, तो आप कानून से बच नहीं सकते. कुछ मामलों में आपको जेल भी हो सकती है. आइए जानते हैं कि आपको फोन पर क्या नहीं करना चाहिए:

इन चीजों से बचना जरूरी

चाइल्ड पोर्नोग्राफी: सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्पष्ट कहा है कि यह अपराध है और इसके लिए 3 से 7 साल की सजा हो सकती है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना पॉक्सो अधिनियम के तहत गंभीर अपराध है.

बम बनाने का तरीका खोजना: अगर आप मजाक में भी गूगल पर बम बनाने का तरीका सर्च करते हैं, तो उसका अंजाम बुरा हो सकता है. गूगल इस तरह की सर्च एक्टिविटीज़ को गंभीरता से लेता है और सुरक्षा एजेंसियों के साथ आपकी जानकारी साझा कर सकता है.

पायरेसी: फिल्म पायरेसी कानूनी रूप से सख्त है. पायरेटेड फिल्में डाउनलोड करना अवैध है और इससे लाखों रुपये का जुर्माना हो सकता है.

अन्य की तस्वीरें या वीडियो बिना अनुमति के शेयर करना: यह न केवल प्राइवेसी का उल्लंघन है, बल्कि आपराधिक भी है. इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें जेल जाने की संभावना भी शामिल है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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