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अब मोबाइल पर दिखाई देगी कॉल करने वाले की पहचान, नहीं करना होगा थर्ड पार्टी ऐप का यूज

TRAI New Instructions: लोगों को अब अनजान नंबर से कॉल आने पर, कॉल किसने किया है ये जानने के लिए किसी ऐप की जरूरत नहीं पड़ेगी. जिसने भी कॉल किया होगा उसका नाम आपको मोबाइल स्क्रीन में दिखाई देगा, जिसकी मदद से आप जान सकेंगे की आपको किसने कॉल किया है. टेलिकॉम कंपनियां कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस को 15 जुलाई से पूरे देश में एक्टिव कर देंगी. इससे पहले  मुंबई और हरियाणा में कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस का ट्रायल भी किया गया, जो सफल रहा. इस सर्विस से लोग फ्रॉड कॉल, स्पैम और धोखाधड़ी से खुद को बचा सकेंगे. क्योंकि ज्यादातर साइबर क्राइम की शुरुआत कॉल से ही होती है. 

कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन कैसे करेगा काम

कॉल आने पर कॉलर का वही नाम दिखेगा जोकि उसने सिम खरीदते वक्त KYC फॉर्म पर भरा होगा. कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस अच्छे से काम कर रही है कि नहीं इसको चेक करने के लिए मुंबई और हरियाणा में छोटे सर्कल में इसका ट्रायल किया गया. ट्रायल से पॉजिटिव रिजल्ट निकल के आया. इस रिजल्ट को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन के साथ भी शेयर किया गया. इसके अलावा इस सर्विस को अच्छे से अमल करवाने में सरकार और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) नजरें बनाए हुए है. इस सर्विस के एक्टिव होने के बाद साइबर क्राइम को भी कुछ हद तक रोका जा सकेगा. 

अब नहीं करना पड़ेगा थर्ड पार्टी ऐप का इस्तेमाल

टेलीकॉम कंपनियों के कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन को देशभर में एक्टिव करने के बाद से लोगों को थर्ड पार्टी ऐप जैसे ट्रूकॉलर, का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा. ट्रूकॉलर जैसे ऐप अनजान कॉल आने पर उस शख्स का नाम शो करते हैं कि जिसका कॉल आपके पास आ रहा है. लेकिन इन ऐप्स को इस्तेमाल करने के बदले में इन ऐप्स आपसे कई सारे एक्सेस मांगते हैं. एक्सेस देने के बाद इन ऐप्स की पहुंच आपको सेव कॉन्टैक्ट, मैसेज और फोटोज तक हो जाती है. कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सर्विस आने के बाद लोगों को इन सबसे छुटकारा मिलेगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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