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काम की बात: रिफर्बिश्ड लैपटॉप खरीद रहे हैं तो जरूर चेक कर लें ये 5 चीजें, नहीं लगेगा चूना

Refurbished Laptop: भारत में आज के समय में एक वर्ग ऐसा भी है जो नया मोबाइल और लैपटॉप न लेकर रिफर्बिश्ड गैजेट ले रहे हैं. रिफर्बिश्ड गैजेट आमतौर पर नए गैजेट से कम दाम में मिल जाते हैं. पैसे बचाने के चक्कर में लोग इन्हें खरीद भी लेते हैं. लेकिन कुछ समय बाद वो गैजेट अच्छे से काम नहीं करते हैं और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन परेशानियों से बचने के लिए आपको कुछ खास चीजों का ध्यान रखकर रिफर्बिश्ड गैजेट खरीदने चाहिए. इन चीजों का ध्यान रखने से आपको और आपके डिवाइस को कोई परेशानी नहीं होगी.

खरीदने से पहले चेक करें वारंटी और रिटर्न पॉलिसी

अगर आप रिफर्बिश्ड लैपटॉप खरीद रहे हैं. तो आपको उसकी वॉरंटी और रिटर्न पॉलिसी पहले चेक करनी चाहिए. रिफर्बिश्ड लैपटॉप खरीदने से पहले इस बात का खास ध्यान रखें कि उसपर आपको 6 महीने की कम-से कम वारंटी मिल रही हो. वहीं दूसरी तरफ रिटर्न पॉलिसी को भी देख लें. ताकि भविष्य में अगर आपके लैपटॉप में कोई समस्या आती है तो उसे वापस कर सकें. 

विश्वसनीय विक्रेता से खरीदें

रिफर्बिश्ड लैपटॉप खरीदने से पहले जिस भी विक्रेता या कंपनी से आप खरीद रहे हैं उसकी अच्छे से जानकारी ले लें. आप विक्रेता या कंपनी की रिव्यू और रेटिंग भी चेक कर सकते हैं. अगर आप अच्छी जगह से खरीदते हैं तो रिफर्बिश्ड लैपटॉप अच्छी कीमत और अच्छी कंडीशन में मिल सकता है.

ग्रेडिंग और कंडीशन देखें

बता दें कि रिफर्बिश्ड लैपटॉप की ग्रेडिंग (Grade A, B, C) के रूप में होती है. Grade A सबसे अच्छा होता है. अगर आप Grade A ग्रेडिंग का लैपटॉप लेते हैं तो आपका लैपटॉप अच्छे से पर्फाम करेगा. 

लैपटॉप की बैटरी लाइफ

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में खरीदते वक्त सबसे ज्यादा ध्यान उसकी बैटरी पर होना चाहिए. रिफर्बिश्ड लैपटॉप की बैटरी लाइफ कितनी है. कम बैटरी लाइफ वाला रिफर्बिश्ड लैपटॉप न खरीदें.

जरूरी सॉफ्टवेयर होने चाहिए इंस्टॉल

रिफर्बिश्ड लैपटॉप खरीदते वक्त उसमें मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर को अच्छे से चेक कर लें. ये भी सुनिश्चित करें कि एक्सटेंडेड वारंटी-एंटी-वायरस सब्सक्रिप्शन की सुविधाओं मिल रही है कि नहीं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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