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‘सनम तेरी कसम’ के सीक्वल से कटा हर्षवर्धन राणे और मावरा होकेन का पत्ता, नई जोड़ी पर दांव लगाएंगे मेकर्स

साल 2016 में आई हर्षवर्धन राणे और मावरा होकेन की फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। इस रोमांटिक फिल्म ने 90 के दशक की याद दिला दी थी। फिल्म में हर्षवर्धन राणे और मावरा की ट्रेजिक लवस्टोरी देख हर किसी की आंख में आंसू आ गए थे, इन दोनों सितारों की केमेस्ट्री पर भी खूब प्यार लुटाया गया था। लेकिन बॉक्स ऑफिस पर ‘सनम तेरी कसम’ कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी। वहीं अब खबरें आ रही हैं कि मेकर्स ‘सनम तेरी कसम’ की तैयारी कर रहे हैं।

जल्द बनेगा ‘सनम तेरी कसम’ का सीक्वल

बता दें कि ‘सनम तेरी कसम’ फिल्म को राधिका राव और विनय सपरु ने डायरेक्ट किया था। 25 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर केवल 16 करोड़ रुपये ही कमाए थे। वहीं अब हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान डायरेक्टर जोड़ी राधिका राव और विनय सपरु ने बताया की इस फिल्म के सीक्वल पर काम शुरू हो गया है और फिलहाल यह फिल्म शुरुआती स्टेज में हैं। टाइम्स नाउ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल ‘सनम तेरी कसम’ फिल्म की कास्टिंग चल रही है। लेकिन करीबी सूत्रों ने बताया कि ‘सनम तेरी कसम’ के सीक्वल में हर्षवर्धन राणे और मावरा होकेन को कास्ट नहीं किया जाएगा।

नई जोड़ी को लॉन्च करेंगे मेकर्स

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ‘सनम तेरी कसम’ के सीक्वल में मेकर्स नए चेहरों को लॉन्च करना चाहते हैं, जिस पर काम शुरू हो गया है। इस हिसाब से देखा जाए तो ‘सनम तेरी कसम 2’ से हर्षवर्धन राणे और मावरा होकेन का पत्ता साफ हो गया है। वहीं सूत्रों ने फिल्म की कहानी को लेकर भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि इस फिल्म की लीड एक्ट्रेस एक सिंगर होगी। ऐसे में हो सकता है कि ‘सनम तेरी कसम 2’ आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर की ‘आशिकी 2’ से कुछ मिलती-जुलती हो। हालांकि फिल्म की कहानी से लेकर स्टारकास्ट पर अभी तक मेकर्स की ओर से कोई ऑफिशियल बयान सामने नहीं आया है। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और टीवी न्यूज की पल पल की अपडेट जानने के लिए बने रहे बॉलीवुडलाइफ के साथ।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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