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रणदीप हुड्डा की वाइफ लिन लैशराम ने मनाया पहला करवा चौथ, लेकिन बेहद इंट्रेस्टिंग ट्विस्ट के साथ

Karwa Chauth 2024: ‘सरबजीत’ फेम एक्टर रणदीप हुड्डा और उनकी पत्नी लिन लैशराम इस साल अपना पहला करवाचौथ मना रहे हैं. दोनों ने पिछले साल नवंबर में शादी की थी. शादीशुदा होने के बाद अपना पहला करवा चौथ लिन ने कुछ अलग अंदाज में मनाया है.

लिन ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिेए अपने पहले करवा चौथ को कैसे मनाया है, इस बारे में बताया है. उन्होंने बताया है कि वो इस बार फास्ट नहीं हैं, बल्कि किसी दूसरे अंदाज में ये मना रही हैं.

क्या है लिन की पोस्ट में?

लिन ने दो तस्वीरों के साथ पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा है कि उन्होंने रणदीप के सुझाव का ख्याल रखा है, जिसमें उन्होंने लिन को व्रत न रखने की सलाह दी थी. लिन ने लिखा, ”हैप्पी फर्स्ट करवाचौथ हस्बैंड, जैसा कि तुमने कहा था कि व्रत नहीं रखना. मैंने वैसा ही किया है. मेरे पास स्नैक्स से भरी बास्केट है और मैं नेटफ्लिक्स देखे के लिए तैयार हूं. साथ ही मेरे डांस मूव्स भी स्टैंड बाय में हैं.”


यूजर्स कर रहे ऐसे रिएक्ट

लिन के इस पोस्ट पर कई यूजर्स रिएक्ट करते हुए उनपर अपना प्यार बरसा रहे हैं. एक यूजर ने लिखा हैप्पी स्नैकिंग दो दूसरे ने हैप्पी करवाचौथ. एक ने लिखा है – हाहाहा क्यूटीज.

पिछले साल शादी के बंधन में बंधे थे लिन और रणदीप

रणदीप हुड्डा और लिन ने पिछले साल 30 नवंबर को मणिपुर की राजधानी इंफाल में मणिपुरी रीति-रिवाज से शादी की थी. बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर हुई ये शादी सुर्खियों में थी. बता दें कि लिन लैशराम ने बॉलीवुड में शाहरुख खान की फिल्म ओम शांति ओम से डेब्यू किया था. वो सुजॉय घोष के डायरेक्शन में बनी जाने जान में भी करीना कपूर के साथ अहम रोल में दिख चुकी हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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