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IIFA 2024: राणा दग्गुबाती ने छुए शाहरुख के पैर, एक्टर की सादगी के कायल हुए फैंस

इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड यानी आईफा 2024 इस बार 27 से 29 सितंबर तक होने वाला है। इसको लेकर काफी जोर से तैयरियां चल रही हैं। आईफा 2024 को लेकर मुंबई में मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया थआ। इस मौके पर बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के अलावा साउथ राणा दग्गुबाती, फिल्म करण जौहर और सिद्धांत चतुर्वेदी और अभिषेक बनर्जी मौजूद रहे। आईफा 2024 से जुड़े फोटोज और वीडियोज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इनमें से एक वीडियो लोगों का ध्यान खींच रहा है। दरअसल, साउथ राणा दग्गुबाती बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के पैर छूते नजर आ रहे हैं। शाहरुख खान और राणा दग्गुबाती के इस वीडियो के सामने आने पर फैंस रिएक्शन दे रहे हैं।

शाहरुख खान और राणा दग्गुबाती का वीडियो हुआ वायल

एंटरटेनमेंट (Entertainment News) इंडस्टी के दो बड़े स्टार शाहरुख खान और राणा दग्गुबाती एक मंच पर मौजूद रहे। ये मौका आईफा 2024 की प्रेस कॉन्फ्रेंस का था। इस दौरान ऐसा नजारा देखने को मिला जो शाहरुख खान और राणा दग्गुबाती के फैंस का दिल जीत रहा है। दरअसल, स्टेज पर शाहरुख खान होते हैं और राणा दग्गुबाती जाते हैं और उनके पैर छू लेते हैं। राणा दग्गुबाती कहते हैं कि वह पूरी तरह से साउथ इंडियन हैं। ऐसा इसलिए होता है कि शाहरुख खान बता रहे होते हैं कि आजकल की जेनरेशन किस तरह से पैर छूती हैं तो इस पर राणा दग्गुबाती ये काम करते हैं। शाहरुख खान और राणा दग्गुबाती के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने पर लोग कमेंट कर रहे हैं और साउथ एक्टर की जमकर तारीफ कर रहे हैं।

शाहरुख खान के नए लुक ने खींचा फैंस का ध्यान

आईफा 2024 की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शाहरुख खान नए लुक में नजर आए। शाहरुख खान के हेयरकट लिया और छोटे बालों में दिखाई दिए। इस इवेंट के दौरान शाहरुख खान ने जींस और टी-शर्ट के साथ कैप पहना हुआ था। शाहरुख खान का नया लुक फैंस का ध्यान खींच रहा है। बताया जा रहा है कि आईफा 2024 को शाहरुख खान और करण जौहर साथ में होस्ट करने वाले हैं। फिलहाल, फैंस आईफा 2024 का इंतजार कर रहे हैं।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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