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पुनीत तिवारी ने इमरान हाशमी संग ‘ग्राउंड जीरो’ में काम करने पर की बात

बॉलीवुड इंडस्ट्री के पॉपुलर एक्टर इमरान हाशमी की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ का इस साल अनाउंसमेंट हुआ है। इस फिल्म की घोषणा होते ही इमरान हाशमी के फैंस काफी एक्साइटेड हो गए हैं। इमरान हाशमी की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ बीएसएफ ऑफिसर नरेंद्र नाथ धर दुबे की लाइफ पर बनेगी। फिल्म में उनका रोल इमरान हाशमी करने वाले हैं। फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ में एक्टर पुनीत तिवारी भी नजर आएंगे जिन्होंने ‘चाचा विधायक हैं हमारे’ और ‘संदीप भैया’ जैसी वेब सीरीज में काम किया है। पुनीत तिवारी ने इमरान हाशमी के साथ फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ में काम करने का अनुभव शेयर किया है। इसके साथ ही पुनीत तिवारी ने बताया है कि इमरान हाशमी के साथ काम करने उनके लिए सपने जैसा है।

इमरान हाशमी संग काम करके काफी खुश हैं पुनीत तिवारी

पुनीत तिवारी ने बताया, ‘इमरान हाशमी के साथ काम करना अद्भुत था। उनके शुरुआती दिनों के समय में मैं स्कूल में था और हम उन्हें बहुत देखते थे। मैं शायद 11वीं क्लास में था जब उनकी फिल्म आशिक बनाया आपने रिलीज हुई थी। एक बार शूटिंग के दौरान मैंने उनसे कहा, आप ही की फिल्मों ने हमें जवान किया है। इस पर उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, तुम लोगों को जवान करते हुए मैं खुद ही बूढ़ा होने जा रहा हूं।’ पुनीत तिवारी ने बताया कि जिसे आप फिल्मों में देखते थे फिर उसके साथ काम करने का मौका मिले तो सपना सच होने जैसा लगता है।

फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ की कहानी

बताते चलें कि प्राइम वीडियो ने इस साल 19 मार्च को अपनी तमाम वेब सीरीज और फिल्मों का अनाउंसमेंट किया था, जिसमें फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ की भी घोषणा की गई थी। इमरान हाशमी की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ को फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी के प्रोडक्शन हाउस एक्सेल बना रहा है। इमरान हाशमी की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ को विजय देवस्कर और तेजस प्रभा डायरेक्ट कर रहे हैं। फिल्म की फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ की कहानी की बात करें तो इमरान हाशमी बीएसएफ अधिकारी की भूमिका में नजर आएंगे और एक खतरनाक मिशन पर अपने काम को अंजाम देंगे।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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