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प्रभास की ‘कल्कि 2898’ ने तोड़ा शाहरुख खान की ‘जवान’ का रिकॉर्ड, टॉप ग्रॉसिंग लिस्ट में मिली ये पोजिशन

प्रभास (Prabhas), दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की फिल्म ‘कल्कि 2898एडी’ (Kalki 2898AD) का तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। नाग अश्विन के निर्देशन में बनी इस फिल्म को रिलीज हुए 41 दिन पूरे हो गए हैं और इन 41 दिनों में ‘कल्कि’ ने कई सुपरहिट फिल्मों का रिकॉर्ड तोड़ा है। कल्कि 2898एडी इस साल की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुई, इसी के साथ कल्कि नार्थ अमेरिका में भी हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म बनी। अब इसी बीच प्रभास की फिल्म ने शाहरुख खान की ‘जवान’ का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और कल्कि भारत की चौथी हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म बन गई है। Also Read – ‘कल्कि 2898 एडी’ सहित इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर जमाए थे पैर, इस मूवी ने तो 105 दिन तक की बंपर कमाई

कल्कि ने तोड़ा ‘जवान’ का रिकॉर्ड

सैक्निलक की रिपोर्ट के अनुसार कल्कि 2898एडी ने कमाई के मामले में शाहरुख खान की ‘जवान’ को पछाड़ दिया है। फिल्म ने 41वें दिन भारतीय बॉक्स ऑफिस पर 28 लाख रुपये का कलेक्शन किया है। इस हिसाब से प्रभास और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘कल्कि 2898एडी’ ने भारत में 640.43 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है। बता दें कि शाहरुख खान और नयनतारा की फिल्म ‘जवान’ ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर टोटल 640.23 करोड़ रुपये की कमाई की थी। इस हिसाब से कल्कि ने ‘जवान’ को पछाड़ते हुए शाहरुख खान की फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस हिसाब से अब प्रभास की ‘कल्कि’ चौथी हाईएस्ट ग्रॉसिंग फिल्म भी बन गई है। इस लिस्ट में पहले नंबर पर ‘बाहुबली 2’, दूसरे नंबर पर ‘केजीएप 2’ और तीसरे नंबर पर ‘आरआरआर’ का नाम शामिल है। Also Read – नयनतारा पर चढ़ा बॉलीवुड का नशा? ‘जवान’ स्टार ने पहनी इतनी बोल्ड ड्रेस

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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