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जया बच्चन पैप्स पर क्यों भड़क जाती हैं अक्सर, सामने आई वजह

Why Jaya Bachchan Often Appears Annoyed With Paps: जया बच्चन के ऐसे कई सारे वीडियोज आते रहते हैं जिनमें उन्हें गुस्से में देखा जाता है. अब उनके गुस्से की वजह का खुलासा पैपराजी मानव मंगलानी ने किया है. उन्होंने बताया है कि जया बच्चन का रिएक्शन ऐसा क्यों होता है.

हाल ही में मानव मंगलानी ने अलीना डिसेक्ट्स को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि जया मीडिया से बहुत ज्यादा जुड़ी नहीं हैं. उन्होंने कहा, ”उन्हें मीडिया की इतनी आदत नहीं है. उनके दिनों में मुश्किल से कुछ लोग ही हुआ करते थे, जो बेहद सहजता से पेश आते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब मीडिया काफी बढ़ चुका है.”


कब होती है जया बच्चन को परेशानी?
मानव ने आगे कहा, “जया बच्चन को तब कोई परेशानी नहीं होती, जब वो किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस या फिल्म के प्रीमियर पर होती हैं. लेकिन उन्हें तब दिक्कत होती है जब सब कुछ अचानक से होता है. वो चौंक जाती हैं. इतने सारे लोग यहां कैसे आ गए. हम तो बस डिनर के लिए निकले थे.”

‘जया बच्चन का है अपना फंडा’
मानव ने आगे ये भी बताया कि ”जया बच्चन फिर मजेदार बातें भी करती हैं. वो पैप्स को कैमरा एंगल बताती हैं, ‘ये नीचे कहां से फोटो ले रहे हो, इस एंगल से लो. वो मीडिया सेवी नहीं हैं. उन्हें बस कुछ खास चैनल के चार से पांच लोगों की आदत है बस” मानव ने कहा कि “जया बच्चन का अपना फंडा है.”

बता दें कि जया बच्चन को अक्सर अपनी बेटी श्वेता बच्चन और बेटे अभिषेक बच्चन के साथ देखा जाता है. वो अक्सर मुंबई में होने वाली प्रीमियर्स और दूसरे कार्यक्रमों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रहती हैं.

जया बच्चन का वर्कफ्रंट
जया बच्चन को आखिरी बार रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की फिल्म ‘रॉकी रानी की प्रेम करानी’ में देखा गया था. इस फिल्म में उनके अलावा धर्मेंद्र, शबाना आजमी जैसे एक्टर्स ने भी स्क्रीन शेयर की थी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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