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Online Game की लत ने लगाया 5 लाख का चूना! अभिभावक रहें सावधान

Online Game: बच्चों में ऑनलाइन गेम का क्रेज काफी देखने को मिलता है. बच्चों घंटों तक ऑनलाइन गेम में लगे रहते हैं. लेकिन कई बार ऑनलाइन गेम के चक्कर में बच्चों इतना मग्न हो जाते हैं कि वह पैसे भी लुटाने लगते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां पर एक बच्चे ने ऑनलाइन गेम में करीब 5 लाख रुपये लुटा दिए.

दरअसल, यह मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है. 7वीं क्लास के एक छात्र को एक व्यक्ति ने ऑनलाइन गेम (Online Game) आईडी बनवाने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए. बच्चे ने अपने पेरेंट्स के फोन में मौजूद यूपीआई आईडी (UPI ID) की मदद से पैसे ट्रांसफर कर दिए. ट्रांजैक्शन डिटेल चैक करने पर माता-पिता के होश उड़ गए.

दस दिन में 5 लाख रुपये उड़ाए

जानकारी के मुताबिक, छात्र ने 24 अगस्त को पहली बार रुपये ट्रांसफर किए थे. इसके बाद 24 अगस्त से लेकर 4 सितंबर तक कई ट्रांजैक्शन में करीब 5 लाख रुपये तक ट्रांसफर किए गए हैं. माता के खाते से 2.30 लाख रुपये तो वहीं पिता के खाते से बच्चे ने करीब 2.60 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे. पुलिस ने आईटी धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.

अभिभावक रहें सावधान

कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को स्मार्टफोन देने के बाद माता-पित निश्चिंत हो जाते हैं. जिससे ऐसी घटना हो जाती है.

  • पैरेंट्स को बच्चों को एक्टिविटी पर नज़र रखनी चाहिए.
  • ऑनलाइन गेम से बच्चों को दूर रखना चाहिए.
  • बच्चों के फोन इस्तेमाल करने के बाद, उसकी हिस्ट्री जरूर चेक करें, इससे पता चलेगा कि कौन-कौन सी वेबसाइट खोली गई है.
  • मोबाइल में मौजूद बैंक ऐप या यूपीआई आईडी बच्चों से साझा नहीं करनी चाहिए.
  • ऐप को खोलने के लिए लगा हुआ पासवर्ड या पिन भी बच्चों को नहीं बताना चाहिए.
  • बैंक से आने वाले ट्रांजैक्शन पर नज़र रखें.
  • बच्चों को ज्यादा से ज्यादा बाहरी एक्टिविटी में व्यस्त रखें जिससे वह ऑनलाइन गेम से दूर रह सके.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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