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मार्केट में आया ठगी का नया तरीका, ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर यूं जाल में फंसाते हैं स्कैमर्स

Cyber Fraud: देश में एक तरफ जहां डिजिटल दुनिया ने लोगों को काफी स्मार्ट बना दिया है, वहीं दूसरी तरफ स्कैमर्स भी स्मार्ट हो चुके हैं जो अब नए-नए तरीकों से लोगों को चूना लगा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां पर स्कैमर्स (Cyber Fraudsters) लोगों के साथ ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) के नाम पर ठगी कर रहे हैं. इसमें एक मैसेज भेजा जाता है जिसमें ऑर्डर की डिटेल्स होती हैं. इसके बाद एक लिंक दिया जाता है जिसपर क्लिक करते ही आपके साथ धोखाधड़ी हो जाती है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामाल.

स्कैमर्स का नया तरीका

  • आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्कैमर्स ने अब लोगों के साथ ठगी करने का एक नया तरीका खोज निकाला है. इसमें वह लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर ठग रहे हैं.
  • इसमें अपराधी लोगों को एक मैसेज भेजते हैं जिसमें ऑर्डर डिटेल्स दी होती हैं और बताया गया होता है कि जैसे ही आपका ऑर्डर शिप किया जाएगा, आपको एक लिंक मिल जाएगा.
  • इसके बाद लोगों को एक लिंक मैसेज के जरिए आता है जिसमें बताया गया होता है कि इस लिंक के जरिए आप अपने ऑर्डर को ट्रैक कर सकते हैं.
  • अब जैसे ही लोग लिंक पर क्लिक करते हैं, उनका स्मार्टफोन हैक हो जाता है और उसमें मौजूद सारी जानकारी स्कैमर्स के पास पहुंच जाती है.
  • ऐसे में अगर आपको भी कोई आकर्षित करने वाला ऐसा कोई मैसेज आता है जिसमें लिंक भी दिया गया है, तो ऐसे मैसेज और लिंक पर बिकलुक भी रिप्लाई या क्लिक न करें.

यह है बचने का उपाय

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सरकार के साथ-साथ टेलिकॉम कंपनियां भी लोगों को सतर्क करती रहती हैं. इसीलिए लोगों को अब स्मार्टफोन में आए ऐसे मैसेजों से बचके रहना चाहिए.

  • सबसे पहले किसी भी अंजान मैसेज का रिप्लाई न दें.
  • आकर्षित करने वाले मैसेज के जाल में न फंसें.
  • किसी भी अंजान लिंक पर बिलकुल भी क्लिक न करें.
  • कैश ऑन डिलीवरी के नाम पर आए किसी भी ऑर्डर को कैश न दें.
  • ऑर्डर के नाम पर किसी भी अंजान व्यक्ति को ओटीपी न दें.
  • साथ ही अंजान नंबर से आए व्हाट्सऐप कॉल को भी न रिसीव करें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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