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तीसरे वीकेंड पर फिर बढ़ा ‘मुंज्या’ का क्रेज! शरवरी-अभय की फिल्म ने छाप डाल इतने करोड़

Munjya Box Office Collection Day 16: शरवरी वाघ और अभय शर्मा की हॉरर-थ्रिलर फिल्म ‘मुंज्या’ का क्रेज थमने का नाम नहीं ले रहा है. 7 जून को थिएटर्स में आई ये फिल्म रिलीज के 16 दिन बाद भी करोड़ों का कारोबार कर रही है. यहां तक कि ‘मुंज्या’ ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्मों को भी मात दे दी है. जहां ‘मुंज्या’ रिलीज के बाद से ही हर रोज करोड़ों छाप रही है तो वहीं तीसरे वीकेंड पर एक बार फिर फिल्म के कलेक्शन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

सैकनिल्क की मानें तो ‘मुंज्या’ पिछले कुछ दिनों से हर रोज 2.5 से 3.5 करोड़ रुपए के बीच कलेक्शन कर रही थी. 15वें दिन भी फिल्म ने 3 करोड़ रुपए ही कमाए थे. लेकिन तीसरे शनिवार को फिल्म की कमाई में काफी इजाफा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक ‘मुंज्या’ ने 16वें दिन 5.50 करोड़ रुपए बटोरे हैं. इसी कलेक्शन के साथ फिल्म अब घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 80 करोड़ के क्लब में एंट्री लेने के करीब पहुंच गई है.


100 करोड़ क्लब में एंट्री लेगी फिल्म?
‘मुंज्या’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 16 दिन में कुल 76.45 करोड़ रुपए कमा लिए हैं. महज 30 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस फिल्म ने हफ्ते भर में ही अपना बजट निकाल लिया था. अब ‘मुंज्या’ का बढ़ता कलेक्शन इस ओर इशारा कर रहा है जल्द ही फिल्म 100 करोड़ क्लब में एंट्री ले सकती है.

नई रिलीज फिल्मों को मात दे रही ‘मुंज्या’
आदित्य सरपोटदार के डायरेक्शन में बनी ‘मुंज्या’ का क्रेज बॉक्स ऑफिस पर ऐसा हावी है कि ये हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘इश्क विश्क रीबाउंड’ और पिछले हफ्ते पर्दे पर आई ‘चंदू चैंपियन’ को भी मात दे रही है. नई फिल्मों की रिलीज से शरवरी वाघ की हॉरर-थ्रिलर पर कोई असर नजर नहीं आया. बल्कि ‘मुंज्या’ ही दूसरी फिल्मों को पछाड़कर रिकॉर्ड बना रही है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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