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‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने तोड़ा ‘श्रीकांत’ का रिकॉर्ड! सेकेंड डे कलेक्शन में बटोरे खूब नोट

Mr & Mrs Mahi Box Office Collection Day 2: राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर की स्पोर्ट्स-ड्रामा फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ 31 मई, 2024 को थिएटर्स में रिलीज हो गई है. दर्शकों को दोनों स्टार्स की जोड़ी काफी पसंद आ रही है और ऐसे में फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. सिनेमा लवर्स डे पर 99 रुपए के टिकट के ऑफर से मिस्टर एंड मिसेज को पहले दिन काफी फायदा हुआ. अब दूसरे दिन भी फिल्म ने अच्छा कलेक्शन करने में कामयाब रही है.

सैकनिल्क की रिपोर्ट के मुताबिक ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने 6.75 करोड़ रुपए से बॉक्स ऑफिस पर खाता खोला था. वहीं दूसरे दिन भी फिल्म ने दमदार कमाई की है. ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने सेकेंड डे कलेक्शन में कुल 4.50 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है. इसी के साथ घरेलू बॉक्स ऑफिस पर दो दिन में फिल्म ने कुल 11.25 करोड़ रुपए कमा लिए हैं.


‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने ‘श्रीकांत’ को पछाड़ा!
‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने सेकेंड डे कलेक्शन में राजकुमार राव की फिल्म ‘श्रीकांत’ को मात दे दी है. ‘श्रीकांत’ 10 मई, 2024 को रिलीज हुई थी और अब तक पर्दे पर लगी है. जहां ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ ने दूसरे दिन 4.50 करोड़ रुपए का कारोबार किया तो नहीं ‘श्रीकांत’ ने सेकेंड डे कलेक्शन में 4.2 करोड़ रुपए की ही कमाई की थी.

क्या है ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ की कहानी?
शरण शर्मा के डायरेक्शन में बनीं फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ को धर्मा प्रोडक्शन्स और जी स्टूडियोज के बैनर तले बनाया गया है. फिल्म में राजकुमार राव एक क्रिकेट लवर के तौर पर दिखाई दिए हैं जो क्रिकेटर बनना चाहते हैं और बन नहीं पाते. इसके बाद वे अपने अधूरे ख्वाब को अपनी पत्नी माही (जाह्नवी कपूर) को क्रिकेटर बनाकर पूरा करने की कोशिश करते हैं.

दूसरी बार एक साथ दिखे राजकुमार-जाह्नवी
ऐसा दूसरी बार है जब राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर एक साथ पर्जे पर नजर आए हैं. इससे पहले दोनों को हॉरर-ड्रामा फिल्म ‘रूही’ में साथ देखा जा चुका है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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