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‘कल्कि 2898 एडी’ का दमदार कलेक्शन जारी, जानें दूसरे वीकेंड पर छापे कितने नोट

Kalki 2898 AD BO Collection Day 10: प्रभास की साई-फाई एक्शन फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ का फीवर दर्शकों के सिर से उतरने को तैयार नहीं है. फिल्म 27 जून को थिएटर्स में आई थी और अब रिलीज के 10 दिन बाद भी इसका कलेक्शन देखने लायक है. वीकेंड हो या वर्किंग डे, ‘कल्कि 2898 एडी’ हर रोज 20 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर रही है. वहीं दूसरे वीकेंड भी फिल्म ने शानदार कमाई की है.

सैकनिल्क के आंकड़ों पर नजर डालें तो ‘कल्कि 2898 एडी’ ने सेकेंड फ्राइडे 16.7 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था. ये 10 दिनों में फिल्म का अब तक का सबसे कम कलेक्शन था. हालांकि अब वीकेंड पर एक बार फिर प्रभास की फिल्म का जादू चला और इसने 34.45 करोड़ रुपए की जबरदस्त कमाई कर डाली. इसी के साथ अब ‘कल्कि 2898 एडी’ ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर टोटल 466 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है.


500 करोड़ क्लब में एंट्री लेने के करीब
‘कल्कि 2898 एडी’ ने अपने 10 दिनों के शानदार कलेक्शन के साथ कई फिल्मों को मात दी है. जिनमें पठान, सालार, साहो, दंगल और बाहुबली जैसी फिल्में शामिल है. अब फिल्म 500 करोड़ के क्लब में एंट्री लेने के लिए तैयार है और इसका अगला टारगेट सनी देओल की फिल्म गदर 2 है. पिछले साल भारत में रिलीज हुई गदर ने भारत में कुल 525 करोड़ रुपए कमाए थे और ‘कल्कि 2898 एडी’ जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि फिल्म सनी देओल को मात दे सकती है.

वर्ल्डवाइड भी कर रही शानदार कलेक्शन
नाग अश्विन के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ का बजट 600 करोड़ था. इसे भारत की अब तक की सबसे महंगी फिल्म बताया जा रहा था. फिल्म वर्ल्डवाइभी अच्छा कमा रही है और 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस कर चुकी है.

फिल्म की स्टारकास्ट
‘कल्कि 2898 एडी’ की स्टारकास्ट की बात करें तो प्रभास के अलावा दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन, दिशा पाटनी और कमल हासन फिल्म का हिस्सा हैं. इसके अलावा विजय देवरेकोंडा और दुलकर सलमान का फिल्म में कैमियो है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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