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Jio vs Airtel: 395 रुपये वाले रिचार्ज प्लान में कौन दे रहा ज्यादा फायदा? जानें हर डिटेल

Jio vs Airtel Rs 395 Recharge Plan Comparison: एयरटेल और रिलायंस जियो दोनों ही भारतीय टेलीकॉम बाजार में अपना शेयर बढ़ाने के लिए ग्राहकों को नए-नए रिचार्ज प्लान ऑफर करते हैं. दोनों ही कंपनियां अपने प्लान में ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सर्विस देने में लगे हुए हैं. अब दोनों ही टेलीकॉम जाइटस की नजर 395 रुपये वाले रिचार्ज प्लान पर है. बता दें कि दोनों ही 395 रुपये वाला रिचार्ज प्लान लोगों को देते हैं. अब इसी प्लान को लेकर दोनों टेलीकॉम कंपनियां ग्राहकों को अपना अपना प्लान बेचने के लिए इसमें कई बेनिफिट्स दे रहे हैं.

एयरटेल ने 395 रुपये वाले प्लान की वैधता बढ़ा दी है. जो यूजर्स पहले 56 दिनों तक इसका इस्तेमाल कर सकते थे. वो अब 70 दिनों तक प्लान का फायदा उठा सकेंगे. दोनों ही 395 रुपये वाले रिचार्ज प्लान में यूजर्स को अलग-अलग सुविधा दे रहे हैं.

जियो के प्लान में मिलेगा JioCinema, JioTV का ऐक्सस

395 रुपये वाला प्लान खरीदने वाले यूजर्स के लिए कंपनी उन्हें काफी सुविधा दे रहा है. जियो का प्लान खरीदने पर यूजर्स JioCinema, JioTV और JioCloud का फायदा मिलता है.  84 दिनों के इस प्लान में 1000 SMS की सुविधा के साथ अनलिमिटेड वॉयस कॉल और 6GB डेटा का फायदा मिलता है. 5जी स्पीड का भी मजा ले सकेंगे.

एयरटेल के प्लान में मिलेगा HelloTunes, Wynk Music का एक्सेस

जियो को टक्कर देने के लिए एयरटेल ने अपने 395 वाले प्लान की वैधता 14 दिन तक बढ़ा दी है. इसके अलावा 600 मुफ्त SMS और 6GB डेटा के साथ यूजर्स को HelloTunes, Apollo 24/7 Circle और मुफ्त Wynk Music एक्सेस भी मिलता है. 

जानें और क्या मिल रहे बेनिफीट्स

दोनों के ही प्लान वैधता और सर्विस में थोड़ा बहुत फर्क है. जहां जियो 1000 SMS की सर्विस दे रहा है, तो वहीं 600 SMS की सर्विस दे रहा है. एयरटेल जहां इस पैक में 70 दिनों की वैधता देता है, तो वहीं जियो की ओर से 84 दिनों तक की वैधता दे रहा है. वहीं दोनों ही टेलीकॉम जाइटस यूजर्स को 6जीबी डेटा का फायदा दे रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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