टैकनोलजी

Teachers Day 2024: WhatsApp या Instagram पर Meta AI से बनाएं मजेदार स्टीकर्स

How to Make Meta AI Stickers: टीचर्स-डे पर मेटा एआई से व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम या इंस्टाग्राम स्टीकर्स बनाकर बधाई भेजना एक अनोखा, आकर्षित और रचनात्मक तरीका है. आप मेटा एआई की मदद से अपने टीचर्स के लिए एख शानदार व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम स्टिकर बनाकर डिजिटल बधाई दे सकते हैं.

आइए हम आपको एक सबसे आसान तरीका बताते है कि कैसे आप मेटा एआई का उपयोग करके व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम स्टीकर्स बना सकते हैं और अपने शिक्षकों को बधाई भेज सकते हैं.

टीचर्स-डे पर आपके लिए मेटा एआई बनाएगा स्टीकर्स

स्टेप 1: व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम खोलें और उसमे मेटा एआई के बने लोगो को क्लिक करें. 

स्टेप 2: अब व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम के अंदर मेटा एआई चैट सेक्शन में – “Create stickers on Happy Teacher’s Day”, “हैप्पी टीचर्स डे का स्टिकर बनाएं”, या “शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं पर एक स्टिकर बनाएं” लिखें.

ध्यान रखें कि आप मेटा एआई में हिंदी या इंग्लिश दोनों भाषा में प्रॉम्प्ट लिख सकते हैं. इतना लिखने के बाद मेटा एआई आपको कुछ शानदार स्टीकर्स बनाकर दे देगा.

स्टेप 3: अब आप उस स्टीकर को डाउनलोड या कॉपी कर लें.

स्टेप 4: उसके बाद अब व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम या किसी भी मैसेंजिंग ऐप को खोलें और अपने टीचर के चैट बॉक्स में जाएं.

स्टेप 5: अब आप डाउनलोड किए गए मेटा एआई स्टिकर को चुनें और भेज दें या कॉपी किया हुआ है तो सीधा पेस्ट करके भी भेज सकते हैं.

इस बात का रखें ख्याल

इस तरह से आप बेहद आसान तरीके से मेटा एआई के जरिए एक शानदार स्टिकर बनाकर अपने टीचर्स को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दे सकते हैं. उसके बाद आप अपने टीचर के रिप्लाई का इंतजार करें और शिक्षक दिवस को बेहतरीन बनाएं. आपको एक बार फिर से बता दें कि मेटा एआई का सपोर्ट व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम दोनों ऐप पर मिलता है. लिहाजा, आप इन दोनों ऐप पर मेटा एआई के जरिए स्टीकर्स बनाकर भेज सकते हैं.

यह भी पढ़ें: 

Free Fire Max Redeem Codes Today: OB46 अपडेट के बाद 5 सितंबर 2024 के स्पेशल रिडीम कोड्स, मिलेंगे कई खास रिवॉर्ड्स

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button