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लाख कलेश करने के बाद घर की बहूरानी कश्मीरा संग काम करेंगी गोविंदा की पत्नी सुनीता? दिया बड़ा बयान | Bollywood Life हिंदी

बॉलीवुड स्टार गोविंदा की पत्नी सुनीता अहूजा इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। हाल ही में सुनीता अहूजा ने बिग बॉस 18 के ऑफर को ताल मारी थी। इस दौरान सुनीता अहूजा ने बिग बॉस के मेकर्स की जमकर क्लास भी लगाई थी। सुनीता अहूजा ने बिग बॉस के मेकर्स से पूछा था कि क्या वो शाहरुख खान की पत्नी को बिग बॉस के घर में आने का ऑफर दे सकते हैं। सुनीता अहूजा ने पूछा कि क्या उनका परिवार मेकर्स को गरीब लगता है। इसी बीच सुनीता अहूजा एक बार फिर से छा गई हैं। इस बार सुनीता अहूजा ने अपनी दुश्मन कश्मीरा शाह को लेकर बयान दे डाला है। इतना ही नहीं सुनीता अहूजा ने दावा किया है कि वो द कपिल शर्मा शो में काम करना चाहती हैं।

सुनीता अहूजा से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि क्या वो द कपिल शर्मा शो में अर्चना पूरन सिंह की जगह लेना पसंद करेंगी। इस सवाल के जवाब में सुनीता अहूजा ने कहा, हां मैं इस शो में काम करना चाहूंगी अगर आप कश्मीरा शाह और कृष्णा अभिषेक को शो से बाहर कर दें। मैं इन दोनों के साथ एक ही शो में काम नहीं करना चाहती। सुनीता अहूजा के इस बयान ने सोशल मीडिया को हिलाकर रख दिया है। सुनीता अहूजा ने ये बयान देकर एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो कश्मीरा शाह के बयान को अब भी नहीं भूली हैं। Also Read – ‘तुम्हें लगता है कि मेरे पास पैसों की कमी है?’ बिग बॉस का 4 बार ऑफर ठुकरा चुकी हैं गोविंदा की वाइफ

एक समय ऐसा भी था जब सुनीता अहूजा और कश्मीरा शाह की जमकर बयानबाजी हुई थी। सुनीता अहूजा ने कश्मीरा शाह को एक घटिया बहू तक बता दिया था। जिसके बाद सबको पता चल गया था कि सुनीता अहूजा और कश्मीरा के बीच खटपट चल रही है। हालांकि कृष्णा अभिषेक ने बात को संभालने की कोशिश की थी। कृष्णा अभिषेक ने दावा किया था कि अब उनके परिवार के बीच सब ठीक है। वहीं सुनीता अहूजा ने बयान देकर फिर इस बात को गलत साबित कर दिया। ऐसी ही और और एंटरटेनमेंट न्यूज के लिए पढ़ते रहिए बॉलीवुड लाइफ…। Also Read – गोविंदा के घर नौकरानी बनकर 20 दिन रही थी नेता की बेटी, एक्टर की एक झलक पाने के लिए फैन ने उठाया था ये कदम

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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