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गोविंदा ने लॉन्च किया अपना ओटीटी ‘फिल्मी लट्टू’, जानें कितने का मिलेगा सब्सक्रिप्शन

Govinda OTT App: बॉलीवुड एक्टर गोविंदा अपने जबरदस्त डांस के लिए पहचाने जाते हैं. फिल्मों में भी गोविंदा ने कमाल किया है और वो हर किसी के फेवरेट एक्टर रहे हैं. गोविंदा ने अपना एक ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसका हिंट वो कई दिनों से दे रहे थे. गोविंदा ने बताया है कि उनके ओटीटी पर सब्सक्रिप्शन का प्लान क्या है?

एक्टर गोविंदा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें बताया है कि उनका ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च हो गया है. डाउनलोड करके फिल्में देखी जा सकती हैं. इसकी पूरी डिटेल्स गोविंदा ने डिटेल में दी है.

गोविंदा ने लॉन्च किया अपना ओटीटी ‘फिल्मी लट्टू’

गोविंदा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें ओटीटी के बारे में जानकारी दी है. गोविंदा ने लिखा, ‘प्रस्तुत कर रहा हूं मेरा ओटीटी ऐप फिल्म लट्टू. अभी डाउनलोड करें और देखिए मेरी फिल्म आ गया हीरो.’


इस वीडियो में गोविंदा की फिल्म आ गया हीरो का टीजर शेयर किया गया है. वीडियो में दिखाया गया कि एंटरटेनमेंट का नंबर 1 ऐप जिसपर 149 रुपये पहले साल के लिए सब्सक्रिप्शन लिया जा सकता है. इस ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और एप्पल स्टोर पर भी डाउनलोड किया जा सकता है.

बता दें, इस एप्लीकेशन पर आपको वेब सीरीज, गोविंदा के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू और पर्दे के पीछे के फुटेज जैसी कई चीजें देखने को मिलेंगी. एंटरटेनमेंट के इस ऐप पर आपको बहुत कुछ मिलने वाला है और इसके बारे में गोविंदा ने ही बताया है. अब इसमें क्या-क्या आपको मिलेगा ये आप जब इस ऐप को डाउनलोड करेंगे तब पता चलेगा.

90’s के सुपरस्टार रहे हैं गोविंदा

गोविंदा ने साल 1986 में आई फिल्म इल्जाम से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने ‘लव 86’, ‘हत्या’, ‘राजा बाबू’, ‘शोला और शबनम’, ‘कूली नंबर 1’, ‘हीरो नंबर 1’, ‘आंटी नंबर 1’, ‘दुल्हे राजा’, ‘भागम भाग’, ‘स्वर्ग’, ‘खुद्दार’, ‘आग’, ‘हम’, ‘बनारसी बाबू’ जैसी बैक टू बैक सुपरहिट फिल्में दी हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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