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Google और MeitY ने मिलाया हाथ, मिलकर बढ़ाएंगे भारतीय स्टार्टअप्स में AI की ताकत

Google Trained 10,000 Indian Startups: दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल 10,000 भारतीय स्टार्टअप्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई सेक्टर में ट्रेन करेगी. बेंगलुरु में हुए गूगल I/O कनेक्ट 2024 इवेंट में इसकी घोषणा की गई है. गूगल MeitY स्टार्टअप हब के साथ मिलकर इस 10,000 भारतीय स्टार्टअप्स को ट्रेन करेगा.

गूगल का ये प्लान भारत में एआई पॉवर को बढ़ाने की योजना में शामिल है. फिलहाल. गूगल भारत में तीन क्षेत्रों पर फोकस कर रहा है, जिसमें मल्टीमॉडल, मल्टीलिंगवल और मोबाइल एआई शामिल है. कंपनी ने अपने नए जेमिनी एआई (Gemini AI Chatbot) चैटबॉट को लेकर दावा किया है कि दुनियाभर में 1.5 मिलियन से ज्यादा डेवलपर्स इसका यूज कर रहे हैं, इसमें भारत में मौजूद डेवलपर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है. 

10,000 भारतीय स्टार्टअप्स को ट्रेन करेगा गूगल

गूगल भारत सरकार के MeitY के साथ मिलकर भारतीय स्टार्टअप्स को एआई के लिए ट्रेन करेगा. इसके अलावा एलिजिबल स्टार्टअप्स को गूगल क्लाउड क्रेडिट के तौर पर 350,000 डॉलर तक मिलेंगे.

इससे स्टार्टअप क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और कम्प्यूटेशनल पावर में इनवेस्ट कर सकें. इसके अलावा एआई को बढ़ावा देने के लिए गूगल नए-नए प्रोग्राम ऑफर कर रहा है, जिसमें एआई फ्रस्ट प्रोग्रामिंग और स्टार्टअप स्कूल और ऐपस्केल अकादमी में ट्रेनिंग देगा.

गूगल ने भारत में लॉन्च किया इनोवेशन प्रोग्राम

गूगल भारत में बहुत सारे एआई इनोवेशन प्रोग्राम लॉन्च कर रहा है. इसी में से एक जेन एआई हैकथॉन प्रोग्राम है, जिसमें MeitY स्टार्टअप के साथ मिलकर भारतीय स्टार्टअप्स को 3 महीने का इमर्सिव एक्सपिरियंस मिलेगा. इन सभी चीजों से स्वास्थ्य सेवा, जलवायु परिवर्तन, कृषि और साइबर सुरक्षा जैसी चुनौतियों से बचने में मदद मिलेगी. 

भारत में एआई को लेकर गूगल के प्लान्स

गूगल भारतीय डेवलपर्स को अच्छा एक्सपिरियंस देने के लिए प्रोजेक्ट ‘वाणी’ के जरिए देश में बोली जाने वाली लोकल भाषाओं को इकट्ठा कर रहा है. इसमें Indian Institute of Science (IISc) गूगल की मदद कर रहा है. अभी तक 58 भाषाओं का डेटा जमा कर लिया गया है. इसके अलावा कृषि सेक्टर में एआई को बढ़ाने की योजना पर भी काम चल रहा है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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