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Youtube की पूर्व सीईओ सुसान वोज्स्की का निधन, सुंदर पिचाई ने जताया दुख

Youtube: यूट्यूब की पूर्व सीईओ सुसान वोज्स्की का निधन हो गया है. वह दो सालों से कैंसर जैसी बीमारी से जंग लड़ रहीं थीं. इस बात की जानकारी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) ने शनिवार को दी. सुंदर पिचाई ने एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया, ”सुसान वोज्स्की, जो कभी गूगल के इतिहास की एक प्रमुख हस्ती थीं, कैंसर से दो साल की लड़ाई के बाद उनका निधन हो गया. वोज्स्की ने यूट्यूब के विकास में अहम भूमिका निभाई.

सुंदर पिचाई ने जताया दुख

दो साल तक कैंसर से पीड़ित रहने के बाद, मेरी प्रिय मित्र सुसान वोज्स्की हमें छोड़ कर चली गई. मैं काफी दुखी हूं. वह Google के इतिहास में किसी अन्य व्यक्ति की तरह ही महत्वपूर्ण हैं, और उनके बिना दुनिया की कल्पना करना कठिन है. वह एक अविश्वसनीय व्यक्ति, लीडर और मित्र थीं, जिनका दुनिया पर जबरदस्त प्रभाव था और मैं अनगिनत गूगलर्स में से एक हूं, जो कह सकते हैं कि वे सुसान को जानते थे. हम उन्हें बहुत याद करेंगे. उनके परिवार के प्रति हमारी संवेदनाएं. रेस्ट इन पीस सुसान.

उन्होंने आगे लिखा ”वो गूगल के शुरुआती कर्मचारियों में से एक थीं और उन्हें एडसेंस बनाने के लिए ‘गूगल फाउंडर्स अवार्ड’ मिला था.

अपने समय में किए थे कई काम

यूट्यूब के सीईओ के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान यह प्लेटफॉर्म एक वैश्विक पावरहाउस के रूप में विकसित हुआ, जिससे लाखों कंटेट क्रिएटर्स और अरबों दर्शकों पर असर पड़ा. बता दें कि सुसान वोज्स्की ने 2014 से 2023 की शुरुआत तक अल्फाबेट की सहायक कंपनी यूट्यूब का नेतृत्व किया.

फरवरी 2023 में सुसान वोज्स्की के गूगल के स्वामित्व वाली कंपनी छोड़ने के बाद भारतीय-अमेरिकी नील मोहन को यूट्यूब का नया सीईओ नियुक्त किया गया था. ऐसे में इनका दुनिया से जाना बेहद ही दुखद है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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