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‘मैं फेमस होना चाहती हूं और इसके लिए मुझे…’, उर्फी जावेद ने बताया अपनी लाइफ का गोल

टीवी एक्ट्रेस और मॉडल उर्फी जावेद की पहचान की मोहताज नहीं है। सोशल मीडिया पर अपने अतरंगी फैशन और ड्रेसिंग सेंस को लेकर अक्सर चर्चा में आने वाली उर्फी जावेद इन दिनों अपने शो फॉलो कर लो यार को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं। उर्फी जावेद को भले ही लोग निशाना बनाते हैं लेकिन उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। उर्फी जावेद ने काफी कम उम्र अच्छा नाम कमा लिया है लेकिन उनका मानना है कि अभी उन्हें और आगे जाना है। उर्फी जावेद ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया है कि वह काफी ज्यादा फेमस होना चाहती हैं। आइए जानते हैं कि उर्फी जावेद ने अपनी लाइफ का गोल क्या बताया है।

उर्फी जावेद को शाहरुख खान जितना होना है फेमस

टीवी (TV News) इंडस्ट्री से शोबिज की दुनिया में कदम रखने वाली उर्फी जावेद ने ‘इंडिया टुडे’ के साथ बात करते अपने ड्रीम का खुलासा किया है। उर्फी जावेद ने कहा, ‘मैं शाहरुख खान के जितना सक्सेस होना चाहता हूं। वह मेरा बेंचमार्क हैं और जिस दिन मुझे लगेगा कि दुनिया के लिए शाहरुख खान हूं, उस दिन मैं वहां रुक जाऊंगी। जब तक मैं अपने बेंचमार्क तक नहीं पहुंचती हूं तब तक रुकूंगी नहीं। फिर चाहे शाहरुख खान भी मुझे रुकने को बोलें पर मैं तब तक नहीं रुकूंगी, जब तक शाहरुख खान अपनी प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ना दे दें। उसके बाद क्या चाहिए? फिर मैं रिटा हो जाऊंगी।’ Also Read – Top 10 TV News of the Week: अनुपमा की बहुरानी के घर आया नया मेहमान, टीवी पर दस्तक देगा ये नया शो

उर्फी जावेद करना चाहती हैं राज

उर्फी जावेद ने आगे कहा, ‘मेरी लाइफ का गोल क्लियर है, मैं फेमस होना चाहती हूं और इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। मैं आज जहां हूं, वहां पहुंचने के लिए एक्स फैक्टर की जरूरत है। कोई कोशिश करना चाहता है तो करके देख ले। मैं बहुत खुश हो जाऊंगी, अगर कोई मेरे जैसा करके सक्सेस पाता है। मैं महत्वाकांक्षी हूं, लेकिन हर कोई नहीं होता है, जो ठीक भी है। मैं सिर्फ एक्जिस्ट नहीं करना चाहती, मैं राज करना चाहती हूं।’ Also Read – Top 5 News of the Week: ऑनस्क्रीन मां पर ईशा मालवीय ने उछाली कीचड़, उर्फी जावेद ने हेटर्स को दिया सदमा

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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