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मार्क जुकरबर्ग ने ऐसा क्या कर दिया? बोलने लगे एलन मस्क- ‘गिरफ्तार करो…’

टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने रविवार को टेलीग्राम के संस्थापक पावेल डुरोव का समर्थन किया और कहा कि मार्क जुकरबर्ग को उनके मेटा-स्वामित्व वाले इंस्टाग्राम पर “बड़े पैमाने पर बाल शोषण” की समस्या के लिए गिरफ्तार किया जाना चाहिए. अरबपति मस्क ने यह प्रतिक्रिया तब दी, जब लोकप्रिय एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम के संस्थापक और मालिक रूस में जन्मे पावेल डुरोव को उनके प्लेटफ़ॉर्म से संबंधित कई आरोपों में फ्रांस में गिरफ़्तार किया गया. दोषी पाए जाने पर डुरोव को 20 साल तक की जेल हो सकती है.

एलन मस्क ने कहा कि मेटा के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग “पहले ही सेंसरशिप के दबाव में आ चुके हैं.” एक्स के मालिक ने पोस्ट किया, “इंस्टाग्राम में बच्चों के शोषण की गंभीर समस्या है, लेकिन जुकरबर्ग की गिरफ़्तारी नहीं हुई, क्योंकि वह बोलने की आज़ादी को सेंसर करता है और सरकारों को पीछे के दरवाजे से यूजर्स के डाटा तक पहुंचा देता है.” टेक अरबपति ने उल्लेख किया, “बोलने की आज़ादी के समर्थन के लिए यह ज़रूरी है कि आप एक्स पोस्ट को अपने जानने वाले लोगों को फ़ॉरवर्ड करें, ख़ास तौर पर सेंसरशिप वाले देशों में.”

जुकरबर्ग ने मांगी थी मांगी

इस साल फ़रवरी में, जुकरबर्ग ने कैपिटल हिल में सीनेट की सुनवाई के दौरान ऑनलाइन बाल यौन शोषण के पीड़ितों के परिवारों से माफ़ी मांगी थी. अरबपति उद्यमी ने बच्‍चों के माता-पिता से कहा कि “आप सभी ने जो कुछ भी सहा है, उसके लिए मुझे खेद है. किसी को भी उन चीजों से नहीं गुजरना चाहिए जो आपके परिवारों ने झेली हैं.” उन्होंने कहा, “यही कारण है कि हम इतना निवेश करते हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे क‍ि किसी को भी उन चीजों से नहीं गुजरना पड़े, जो आपके परिवारों ने झेली हैं.” गौरतलब है क‍ि मस्क और जुकरबर्ग के बीच प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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