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पलक झपकते पासवर्ड क्रैक, Gmail से Amazon तक के यूजर्स सेफ नहीं! साइबर फ्रॉड पर हुआ खुलासा

Cyber Fraud Cases: देशभर में साइबर ठगी के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. स्कैमर्स आए दिन लोगों को ठगने के लिए नई नई तरकीब निकाल रहे हैं. इस तरह के खतरों के बारे में साइबर सिक्योरिटी फर्म्स समय समय पर लोगों के साथ जानकारी शेयर करते रहे हैं. हाल ही में Kaspersky ने पासवर्ड चोरी करने वाले मामलों में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज की है. इस लिस्ट में अमेजन, फेसबुक, गूगल यूजर्स को ज्यादा टारगेट किया जा रहा है. 

गूगल, फेसबुक और अमेजन यूजर्स को ठग ज्यादा निशाना बना रहे हैं. उनके अकाउंट्स में सेंध लगाकर डेटा चोरी, मैलवेयर डिस्ट्रिब्यूशन, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड जैसे साइबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है. अगर स्कैमर्स के हाथ में गूगल अकाउंट का एक्सेस लग जाता है तो ये किसी खजाने से कम नहीं है. पासवर्ड चोरी के मामले में गूगल अकाउंट्स साइबर क्रिमिनल्स का सबसे पसंदीदा प्लेटफॉर्म है.

Kaspersky के आंकड़े ने चौंकाया

Kaspersky के मुताबिक, साल 2024 के पहले छह महीने में गूगल अकाउंट्स को टारगेट करने की काफी कोशिश की गई है. इन मामलों की संख्या 243 परसेंट बढ़ी है.वहीं, 40 लाख प्रयासों को Kaspersky सिक्योरिटी सॉल्यूशन ने ब्लॉक भी कर दिया है. ये संख्या पिछले साल के मुकाबले बहुत ज्यादा है. Kaspersky के मुताबिक, फेसबुक यूजर्स पर 37 लाख फिशिंग अटैक हुए हैं. इसके अलावा, अमेजन यूजर्स पर 30 लाख अटैक दर्ज किए हैं. टॉप 10 में Microsoft, DHL, PayPal, Mastercard, Apple, Netflix और Instagram भी शामिल हैं. 

कैसे टारगेट करते हैं स्कैमर्स?

बता दें कि स्कैमर्स पासवर्ड हैक करने के लिए डायरेक्ट कॉल या टेक्स्ट मैसेज करते हैं. अमेरिका में 130 से ज्यादा ऑर्गेनाइजेशन को टारगेट किया गया है. इसके अलावा, लोगों को क्यूआर कोड के जरिए भी निशाना बनाया जा रहा है. आप इससे बचने के लिए साइबर सिक्योरिटी सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद ले सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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