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चीन की अनोखी Payment तकनीक! हाथ लहराकर हो जाता है पेमेंट जानें पूरा मामला

China Payment Technique: चीन अपने नए-नए अविष्कारों से लोगों को हैरान करता रहता है. इसी कड़ी में अब चीन ने पेमेंट तकनीक में फिर से एक बार लोगों को हैरान कर दिया है. दरअसल, पाकिस्तानी क्रिकेटर राणा हमजा सैफ ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया है जो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे चीन में हाथ लहराकर ही पेमेंट हो जाता है.

हथेली के जरिए हो जाता है पेमेंट


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस वीडियो में क्रिकेटर हमजा और उनके साथी एक किराना दुकान पर जाते हैं जहां पर उन्हें पाम पेमेंट सिस्टम के बारे में दिखाया गया. यह वीडियो चीन के जुझोऊ शहर में बनाया गया है. वीडियो में बताया गया है कि अगर किसी भी हथेली रजिस्टर्ड है तो वह चीन में कहीं भी अपनी हथेली लहराकर पेमेंट कर सकता है.

पहले भी वायरल हुया था वीडियो

आपको बता दें कि सिर्फ सैफ का वीडियो ही नहीं, बल्कि इससे पहले भी पाम पेमेंट सिस्टम के कई वीडियो वायरल हुए थे. इससे पहले RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने भी अपने X हैंडर पर ऐसा ही एक वीडियो पोस्ट किया गया था. उस वीडियो में एक महिला ने बीजिंग मेट्रो में हथेली से पेमेंट करने लोगों को हैरान किया था. महिला ने उन्हें बताया कि चीन में कैशलेस पेमेंट काफी तेजी से फैला है. यहां पर लोग क्यूआर कोड और फेस रिकग्निशन तकनीक का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं अब हथेली से पेमेंट करना भी काफी तेजी से लोगों में फैल रहा है.

चीन अपने नए-नए अविष्कार करके पूरी दुनिया को चौंकाता है. वहीं डिजिटल पेमेंट में चीन काफी तेजी से आगे निकल चुका है. नए तरीकों से पेमेंट करने का तरीका चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैल जाता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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