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Baba Siddique को अंतिम विदाई देने क्यों नहीं पहुंचे Shah Rukh Khan? सामने आ गई वजह

एनसीपी लीडर बाबा सिद्दीकी (Baba Siddique) का 12 अक्टूबर की रात में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. बाबा सिद्दीकी हत्या से लोग स्तब्ध रह गए और उनके चाहने वालों को भरोसा नहीं हो रहा था कि वह दुनिया को अलविदा कहकर चले गए. बॉलीवुड इंडस्ट्री से खास रिश्ता रखने वाले बाबा सिद्दीकी के निधन पर तमाम सेलिब्रिटीज ने दुख जताया और उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे थे. वहीं, एक बात ने लोगों का ध्यान खींचा कि शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) अपने जिगरी दोस्त बाबा सिद्दीकी को अंतिम विदाई देने नहीं पहुंचे थे. अब इस बात की वजह सामने आई गई है. आइए जानते हैं कि बाबा सिद्दीकी को जनाजे में शाहरुख खान आखि क्यों शामिल नहीं हुए. Also Read – Salman-Shah Rukh ही नहीं, बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच का भी टशन खत्म करवा देते थे Baba Siddique!

बाबा सिद्दीकी की हत्या से बॉलीवुड सिलेब्स दुखी

बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद एंटरटेनमेंट (Entertainment News) इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई. इस दुखद घटना के बाद सलमान खान, संजय दत्त, शिल्पा शेट्टी, पूजा भट्ट, जहीर इकबाल, सोहेल खान सहित तमाम सितारे बाबा सिद्दीकी के घर पहुंचे और उनकी फैमिली को ढांढस बंधाया. वहीं, लोगों की निगाहें शाहरुख खान को ढूंढती रहीं लेकिन वह ना ही घर पर पहुंचे और ना ही जनाजे में शामिल हुए. इसके बाद लोग समझ नहीं पा रहे थे आखिर शाहरुख खान अपने खास दोस्त को अंतिम विदाई देने क्यों नहीं पहुंचे. अब इसका जवाब मिल गया है. ‘टाइम्स नाऊ’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि शाहरुख खान पॉलिटिक्स के साथ ही बाबा सिद्दीकी के मर्डर केस से खुद को दूर रखना चाहते हैं. Also Read – Shah Rukh Khan के बेटे Aryan Khan खुद को मानते हैं मुस्लिम, मां Gauri ने कहा- ‘लेकिन…’

बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले से दूर रहना चाहते हैं शाहरुख खान

एक सोर्स ने बताया है कि शाहरुख खान एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में शामिल होना नहीं चाहते हैं. ये मामला सलमान खान से भी जुड़ा हुआ है और शाहरुख खान इस मामले से दूर रहना चाहते हैं. लॉरेंस बिश्नोई के काम करने के तरीके को जानते हुए शाहरुख खान अब खुद पर कोई आंच नहीं आने देना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने करीबी दोस्त बाबा सिद्दीकी के अंतिम संस्कार से दूर रहने का फैसला किया.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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