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करीना कपूर और अनंत अंबानी के बीच का ये कनेक्शन जानते हैं आप, तैमूर हैं वजह

Anant Ambani And Kareena Kapoor Son Caretaker Lalita D Silva: बॉलीवुड सेलेब्स अक्सर ही काफी बिजी रहते हैं. कई बार उनके पास अपने बच्चों तक को संभालने का समाय नहीं रहता है. ऐसे में कई सेलेब्स के बच्चों की देखभाल केयरटेकर करती हैं. केयरटेकर को नैनी भी कहा जाता है. बॉलीवुड में करीना कपूर और सैफ अली खान की बेटे तैमूर अली खान की नैनी काफी चर्चा में रही हैं.

सैफ और करीना के बेटे तैमूर को संभालने वाली केयरटेकर ललिता डी सिल्वा कपल के छोटे बेटे जेह की भी देखभाल करती हैं. हाल ही में ललिता ने एक इंटरव्यू में अमीर घरानों के बच्चों की देखभाल करने पर खुलकर बात की है. गौरतलब है कि ललिता हाल ही में अनंत अंबानी की शादी में भी शामिल हुई थीं.

करीना कपूर और अनंत अंबानी के बीच हैं ये कनेक्शन

करीना कपूर के बड़े बेटे तैमूर अली खान की नैनी के रुप में पहचान बना चुकी ललिता कभी मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की केयरटेकर भी रह चुकी हैं. अनंत को बचपन में ललिता ही संभालती थीं. वहीं हाल ही में जब अनंत ने राधिका संग शादी की थी तो शादी का हिस्सा ललिता भी बनी थीं. तो देखा आपने अनंत अंबानी और करीना कपूर के बीच कनेक्शन की वजह ललिता डी सिल्वा है. 

अनंत अंबानी संग मदरली बॉन्ड पर कही ये बात

इंटरव्यू में ललिता से सवाल किया गया कि, केयरटेकर भी होती हैं तो एक मदरली फीलिंग भी होती है. इस पर ललिता डी सिल्वा ने कहा कि, ‘बिल्कुल’. क्योंकि अनंत को कभी मैंने ऐसे सोचा नहीं हैं कि ये अंबानी फैमिली का बेटा है. 

मैंने कभी सोचा नहीं कि वो बड़े साहब का बेटा हैं


ललिता ने आगे कहा कि, मेरे लिए सारे बच्चे नॉर्मल हैं अभी तक. मैं ये नहीं सोचती कि ये तैमूर हैं या ये दूसरा है. करीना कपूर का (तैमूर अली खान) ही सेलेब्रिटी वर्ल्ड में आया है. बाकी मैंने कॉर्पोरेट जगत के बच्चे संभाले हैं. लेकिन दूसरे बच्चे भी जो कॉर्पोरेट जगत में हाई लेवल है तो मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं है कि ये बड़ा लड़का है, बड़े साहब का लड़का है. मैं बहुत नॉर्मल थीं. जबकि उनके पैरेंट्स भी नॉर्मल थे. मुझे ऐस लगा नहीं कि मैं कहीं पर बहुत स्ट्रिक्ट थी. बच्चों के पैरेंट्स ने भी कभी मुझे ऐसा नहीं कहा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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