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जब फिल्म के गाने में चलानी पड़ी थी बाइक, घबरा गए थे अमिताभ बच्चन, कहा- ‘हमारी हालत बहुत…’

Amitabh Bachchan Story: अमिताभ बच्चन इन दिनों अपने रिएलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति 16’ में दिखाई दे रहे हैं. शो के एपिसोड में बिग बी अक्सर अपनी जिंदगी से जुड़े किस्से शेयर करते रहते हैं. हाल ही में केबीसी 16 के लेटेस्ट एपिसोड का प्रोमो सामने आया था जिसमें अमिताभ बच्चन ने खुलासा किया कि उन्हें बाइक चलाने से बहुत डर लगता है.

बिग बी ने कहा था- ‘भैया ये जो बाइकर्स होते हैं, हमको इससे बड़ी घबराहट होती है. हमको तो बड़ा डर लगता है सर. चला तो सकते हैं.’ इतना कहना था कि शो के कंटेस्टेंट ने उन्हें उनकी फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में बाइक चलाने की याद दिला दी. कंटेस्टेंट ने कहा- ‘आपने मुकद्दर का सिकंदर में इतने अच्छे से चलाई थी.’


‘हमारी हालत बहुत नाजुक थी…’
‘मुकद्दर का सिकंदर’ के बारे में सुनते ही अमिताभ बच्चन मुस्कुरा पड़ते हैं. बिग बी कहते हैं- ‘हम लोग सब कलाकार हैं और एक बार जब कैमरा चल पड़ता है तो हमको अपने कला का प्रदर्शन करना पड़ता है. ये दिखाना पड़ता है कि हमको बहुत अच्छी तरह से चलाना आता है. लेकिन हमारी हालत बहुत नाजुक थी हम जब वो कर रहे थे.’

अमिताभ बच्चन ने आगे कहा- ‘गाना भी गाना था, और फटफटिया भी चलानी थी और हाथ भी छोड़ना था. हाथ छोड़ने के लिए उन्होंने नहीं बोला था, हमने ऐसे ही मस्ती में कर दिया, तो हो गया.’

1978 में रिलीज हुई थी ‘मुकद्दर का सिकंदर’
बता दें कि अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ 1978 में रिलीज हुई थी. फिल्म के एक अनाथ लड़के की कहानी थी, जो अमीर आदमी बनने के लिए कड़ी मेहनत करता है. वो एक लड़की को प्रपोज करता है जिससे वो बचपन से प्यार करता है, लेकिन वो उसे रिजेक्ट कर देती है. इसके बाद उसकी मुलाकात एक वेश्या से होती है और उसे उससे प्यार हो जाता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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