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Kangana Ranaut की Emergency को सेंसर बोर्ड से मिला सर्टिफिकेट, जल्द होगा रिलीज डेट का ऐलान

बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘इमरजेंसी’ (Emergency) को आखिरकार सेंसर बोर्ड ने पास कर दिया है. यह फिल्म लंबे समय से विवादों में फंस हुई है. भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में 1975 में लगी ‘इमरजेंसी’ को दिखाया गया है. अब फिल्म को क्लीनचिट मिलने पर एक्ट्रेस ने ट्वीट करते हुए खुशी जाहिर की. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, ‘हमें ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि फिल्म इमरजेंसी को सेंसर सर्टिफिकेट मिल गया है. हम जल्द ही इस फिल्म की रिलीज डेट का ऐलान करेंगे. आपका धैर्य और सपोर्ट की मैं हमेशा आभारी रहूंगी. Also Read – Kangana Ranaut ने बताया अपना वेडिंग प्लान, बोलीं- ‘मैं शादी करना चाहती हूं और…’

6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी मूवी

बता दें कि कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ शुरुआत से ही विवादों में फंस हुई थी. इस फिल्म पर अकाली दल ने आपत्ति जताई थी और साथ ही फिल्म पर सिख समुदाय को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया गया था. केवल इतना ही नहीं कुछ कांग्रेस के नेता भी फिल्म का जमकर विरोध कर रहे थे. एक्ट्रेस कंगना रनौत ने एक वीडियो के जरिए बताया था कि ‘इमरजेंसी’ फिल्म को लेकर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इन विवादों के चलते फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास नहीं किया था, जिसके बाद ‘इमरजेंसी’ 6 सितंबर को रिलीज नहीं हो पाई. Also Read – Top 10 Entertainment News: ‘इमरजेंसी’ को सीबीएफसी से मिला सर्टिफिकेट, दीपिका पादुकोण बनीं बेटी की मां

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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