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बेटी के जन्म के बाद बीवी के डर से ये काम कर रहे वरुण धवन, कहा- ‘वरना वाइफ घर से निकाल देगी’

Varun Dhawan On Parenting His Daughter: बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन इन दिनों अपनी अपकमिंग वेब सीरीज ‘सिटाडेल: हनी बनी’ को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में उनकी इस वेब सीरीज का ट्रेलर रिलीज हुआ है. ‘सिटाडेल: हनी बनी’ से वरुण धवन ओटीटी डेब्यू करने जा रहे हैं. इससे पहले कुछ महीने पहले ही एक्टर एक बेटी के पिता बने हैं. ऐसे में वरुण धवन ने हाल ही में फादरहुड को लेकर बात की है.

वरुण धवन की वाइफ नताशा दलाल ने 3 जून 2024 को एक बेटी को जन्म दिया था. कपल को पेरेंट्स बने 4 महीने हो गए हैं. अब ई-टाइम्स से बात करते हुए वरुण धवन ने अपने फादरहुड पर बात की है. उन्होंने कहा- ‘मैं अभी भी इसका पता लगा रहा हूं, जैसे कि मुझे कितना जिम्मेदार होना है या मैं अभी भी कितना बच्चा बन सकता हूं या हो सकता हूं.’ 

बेटी को कैसे संभाल रहे वरुण? 
वरुण धवन आगे कहते हैं- ‘मुझे लगता है कि मर्दों को इससे गुजरना पड़ता है. फिलहाल नताशा सब कुछ कर रही है, मैं कर रहा हूं उसे क्रेडिट देने के लिए, महिला शुरू में बिहेवियरलीसब कुछ करती है, फिर मर्द आता है और यूजफुल हो जाता है. मैं बस उसके साथ खेलने को एंजॉय कर रहा हूं.’ 

‘मेरी बीवी मुझे घर से बाहर निकाल देगी…’
एक्टर कहते हैं- ‘पिता बनना अभी बहुत मजेदार है और हर दिन मैं एक बेहतर पिता बनने की कोशिश कर रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि मैं अभी तक वहां हूं. मैं अब बहुत धीमी आवाज में टीवी देखता हूं, नहीं तो मेरी बीवी मुझे घर से बाहर निकाल देगी.’

वरुण धवन का वर्कफ्रंट
वर्कफ्रंट पर वरुण धवन आखिरी बार फिल्म स्त्री में कैमियो में नजर आए थे. वहीं अब वे सामंथा रूथ प्रभु के साथ ‘सिटाडेल: हनी बनी’ में दिखाई देंगे जो 7 नवंबर 2024 को अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होगी. इसके बाद वरुण एटली की फिल्म ‘बेबी जॉन’ में नजर आएंगे.कीर्ति शेट्टी और वामिका गब्बी भी इस फिल्म का हिस्सा होंगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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