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सयाजी शिंदे ने जॉइन की अजित पवार की पार्टी, ‘शूल’ एक्टर बनेंगे पार्टी के स्टार प्रचारक

Sayaji Shinde Joins Politics: नेता से अभिनेता बने लोगों की बात हम कम ही सुनते हैं लेकिन अभिनेता से नेता बनने वाले अक्सर चर्चा में रहते हैं. उनमें से एक और नाम जुड़ गया है सयाजी शिंदे का.

मराठी और हिंदी फिल्मों में फिल्मी पर्दे पर नेता और मंत्री का किरदार निभाने वाला यह कलाकार अब अजित पवार की एनसीपी पार्टी में शामिल हो गया है. और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक स्टार प्रचारक के तौर पर अजित पवार के लिए वह काम करेंगे.


बनेंगे एनसीपी के स्टार प्रचारक

आज मुंबई में अजित पवार अभिनेता सयाजी शिंदे को एनसीपी पार्टी में शामिल किया और घोषणा की कि वह विधानसभा चुनाव में हमारे स्टार प्रचारक होंगे. अभिनेता सयाजी शिंदे महाराष्ट्र में पर्यावरण के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

सयाजी शिंदे समाज सेवा से सालों से जुड़े रहे हैं और यही उनकी ये छवि अभिनेता से नेता बनाने में कारगर रही. एबीपी न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए वह शिद्दत से काम करेंगे और चाहेंगे कि उनका जो भी समाज के प्रति प्रेम है वह एक सेवा के तौर पर सामने आए.

कई फिल्मों में निभा चुके हैं दमदार रोल

हम आपको बता दें कि हिंदी फिल्म शूल में सयाजी शिंदे का एक नेता के तौर पर रोल आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है. मनोज बाजपेयी की ये फिल्म साल 1999 में आई थी, जिसमें सयाजी शिंदे ने भइया जी यादव के रोल में वाहवाही बटोरी थी. 

इसके अलावा, शिंदे ने कुरुक्षेत्र और सनी देओल-सुनील शेट्टी की फिल्म ‘कर्ज’ समेत कई दूसरी बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है. इसके उन्होंने अलावा कई साउथ इंडियन फिल्मों में भी काम किया है. सयाजी शिंदे सलमान खान और आयुष शर्मा की साल 2021 में आई फिल्म ‘अंतिम-द फाइनल ट्रुथ’ में भी दिख चुके हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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