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Bigg Boss 18: पहले एलिमिनेशन टास्क के दौरान आपस में भिड़े घरवाले, फूटा Karanveer और Vivian का गुस्सा | Bollywood Life हिंदी

बिग बॉस 18 (Bigg Boss 18) ने पहले ही हफ्ते में धमाल मचाना शुरू कर दिया है. बिग बॉस 18 के गदर में एंट्री करते ही टीवी सितारों ने एक दूसरे की बैंड बजानी शुरू कर दी है. इसी बीच बिग बॉस 18 के घर में नॉमिनेशन टास्क ने भी दस्तक दे दी है. बिग बॉस 18 के आने वाले एपिसोड में घर के सभी सदस्य नॉमिनेशन टास्क का हिस्सा बनने वाले हैं. इस बात का सबूत बिग बॉस 18 का लेटेस्ट प्रोमो है जिसमें घरवाले एक दूसरे की क्लास लगाते नजर आ रहे हैं. नॉमिनेशन टास्क के दौरान विवियन डीसेना (Vivian Dsena) और करणवीर का गुस्सा फूटने वाला है. बिग बॉस 18 के लेटेस्ट प्रोमो में ये दोनों सितारे अपने अपने दुश्मन को तेवर दिखाते नजर आ रहे हैं.

बिग बॉस 18 में विवियन डीसेना चाहत पांडे को नॉमिनेट करते नजर आने वाले हैं. इस दौरान विवियन डीसेना और चाहत पांडे की खूब बहस होती. चाहत पांडे विवियन डीसेना को एटीट्यूड वाला बताएंगी. ऐसे में विवियन डीसेना कहेंगे कि जब लोग बद्तमीजी करते हैं तो उन लोगों से ऐसे ही बात करनी होती है. बिग बॉस 18 के प्रोमो में विवियन डीसेना चाहत पांडे की बोलती बंद करते नजर आ रहे हैं. वहीं विवियन डीसेना के बाद करणवीर मेहरा का भी गुस्सा फूट गया.

बिग बॉस 18 के प्रोमो में करणवीर मेहरा, गुणरत्न सदावर्ते भी आपस में बहसबाजी करते नजर आ रहे हैं. करणवीर मेहरा और गुणरत्न सदावर्ते ने भी सबके सामने एक दूसरे को तेवर दिखाए. प्रोमो में करणवीर मेहरा कह रहे हैं कि गुणरत्न सदावर्ते का एक अलग ही गेम चल रहा है. करणवीर मेहरा की बात सुनकर गुणरत्न सदावर्ते भड़कने वाले हैं. प्रोमो में करणवीर मेहरा से गुणरत्न सदावर्ते कहते नजर आ रहे हैं, मैं जो भी कर रहा हूं डंके की चोट पर कर रहा हूं. तुम मेरे बारे में कुछ नहीं जानते हो. ये सुनकर करणवीर मेहरा कहते दिखे, तुम्हारे डंके की चोट को तो मैं बजाने वाला हूं. ऐसी ही और टीवी न्यूज (TV News) और एंटरटेनमेंट की खबर के लिए पढ़ते रहिए बॉलीवुड लाइफ….

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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