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इस एक्ट्रेस ने लंदन में रहते हुए Dilip Kumar को मान लिया था पति, प्यार को पाने के लिए सीखी उर्दू

बॉलीवुड फिल्मों के अलावा इंडस्ट्री में असल जिंदगी की कई ऐसी प्रेम की कहानियां जिन पर काफी बात होती है. इनमें एक ऐसी प्रेम कहानी है जो आपका ध्यान जरूर खींचेगी. ये कहानी एक बॉलीवुड एक्ट्रेस की है जो लंदन में रहती थीं और वहीं से दिलीप कुमार (Dilip Kumar) को देखते ही प्यार कर बैठीं. इस एक्ट्र्रेस ने ठान लिया कि दिलीप कुमार से शादी करेंगी और मन में ही उन्हें अपने पति मान लिया. दिलीप कुमार को पाने के लिए इस एक्ट्रेस ने काफी जतन किए. आइए आपको बताते हैं कि ये एक्ट्रेस कौन थी जो दिलीप कुमार के प्यार में पागल थी.

सायरा बानो को भाव नहीं देते थे दिलीप कुमार

एंटरटेनमेंट (Entertainment News) इंडस्ट्री में काफी नाम कमाने वाली एक्ट्रेस सायरा बानो काफी कम उम्र से दिलीप कुमार के दीवानी थीं. दिलीप कुमार से करीब 22 साल छोटी सायरा बानो उन्हें अपना दिल दे चुकी थीं. सायरा बानो को अपने प्यार लिए उन्हें काफी जतन करने पड़े. यहां तक कि अपने प्यार के खातिर सायरा बानो ने उर्दू सीखी थी और सितार सीखा था. हालांकि, इसके बावजूद दिलीप कुमार उन्हें ज्याद भाव नहीं देते थे. सायरा बानो ने तय कर लिया था कि वह दिलीप कुमार से ही शादी करेंगी और उनकी इच्छा भी पूरी हुई. Also Read – Raj Kapoor को बेहोश देख टूट गए थे दिलीप कुमार, सायरा बानो ने शेयर किया किस्सा

सायरा बानों लंदन से आई थीं मुंबई

बताते चलें कि सायरा बानो फिल्मों में काम करने के लिए लंदन से मुंबई आई थीं. दिलीप कुमार की फैमिली से परिचय होने के चलते सायरा बानो ने उनके घर पर पास अपना घर लिया. सायरा बानो उम्र में दिलीप कुमार से काफी छोटी थीं इसलिए वह उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे और बच्ची की तरह ट्रीट करते थे. यहां तक कि दिलीप कुमार ने फिल्म ‘राम और श्याम’ काम करने से मना कर दिया था कि वह सायरा बानो को ऑफर हुई थी. इसी बीच सायरा बानो के घर पर एक पार्टी हुई थी जिसमें दिलीप कुमार भी आए थे. इस पार्टी में काफी तैयार हुईं सायरा बानो की दिलीप कुमार ने तारीफ की और इसके बाद दोनों की प्रेम कहानी शुरू हो गई. Also Read – Saira Banu की मां ने बदला था ‘कोई जीता कोई हारा’ में उनका पूरा लुक, एक्ट्रेस ने खोला यादों का पिटारा

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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