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छत से कूदने से पहले अनिल मेहता ने मलाइका और अमृता को किया था फोन, कही थी ये बात | Bollywood Life हिंदी

Malaika Arora’s father Anil Mehta last Call: बॉलीवुड अदाकारा मलाइका अरोड़ा के घर पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। बीते दिन ही मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल मेहता ने छत से कूदकर अपनी जान दे दी है। इस खबर के सामने आते ही पूरा बॉलीवुड सकते में आ गया। बीते दिन से ही लोग अनिल मेहता को सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं। बीता रात ही मलाइका अरोड़ा ने एक पोस्ट शेयर करके अपने फैंस से प्राइवेसी की बात की है। अपने पिता को याद करते हुए मलाइका अरोड़ा इमोशनल हो गईं। इसी बीच अनिल मेहता को लेकर तरह तरह की खबरें सामने आ रही हैं। दावा किया जा रहा है कि मौत से ठीक पहले अमृता अरोड़ा अनिल मेहता से मिलने पहुंची थीं। Also Read – पिता की मौत के बाद मलाइका अरोड़ा ने किया पहला पोस्ट, मीडिया और फैंस से की ये अपील

अब कहा जा रहा है कि अनिल मेहता ने छत से कूदने से पहले मलाइका और अमृता अरोड़ा से फोन पर बात की थी। रिपोर्ट्स की मानें तो आखिरी बार अनिल अरोड़ा ने मलाइका को अपने दिल की बात बताई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट की मानें तो पुलिस ने अनिल मेहता की कॉल डिटेल्स खंगाल डाली है। अमृता अरोड़ा अपने पिता के काफी करीब थीं। एंटरटेनमेंट न्यूज के गलियारे के अनुसार, अनिल मेहता ने मलाइका अरोड़ा को भी फोन लगाया था। बात करते हुए अनिल अरोड़ा ने कहा था कि वो अब थक चुके हैं। Also Read – Top 10 Entertainment News: मलाइका अरोड़ा के पिता ने की आत्महत्या, ‘रेड 2’ की रिलीज डेट आउट

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और टीवी न्यूज की पल पल की अपडेट जानने के लिए बने रहे बॉलीवुडलाइफ के साथ। Also Read – सलमान खान को मां मलाइका का दुश्मन मान बैठे थे बेटे अरहान खान, सबके सामने की थी भाईजान की पिटाई

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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