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बढ़ता ही जा रहा है स्कैमर्स का आतंक! TRAI के नाम से शख्स से लूटे 90 लाख रुपये, कैसे बचें?

Cyber Fraud: साइबर क्रिमिनल्स नए-नए हथकंड़ों का इस्तेमाल कर मासूम लोगों को ठगी का शिकार बनाते रहते हैं. अब साइबर ठगों ने फ्रॉड का एक नया तरीका ढूंढ़ा है, जिसमें एक शख्स को TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) के नाम पर ठग लिया गया. शख्स से कहा गया कि उसका मोबाइल नंबर बंद होने वाला है और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का झांसा देकर उससे करीब 90 लाख रुपये की ठगी की गई. 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, यह पूरा मामला बिहार के मुजफ्फरपुर का है, जहां दिनेश कुमार नाम के व्यवसायी के पास कॉल आता है. कॉल करने वाला शख्स खुद को TRAI का अधिकारी बताता है. अधिकारी बताने वाला शख्स दिनेश को कहता है कि आपके नंबर से एक दूसरा सिम जारी किया गया है, जिसके बाद थाने का नंबर बताकर एक मोबाइल पर कॉल ट्रांसफर किया गया.

कैसे जाल में फंसा रहे स्कैमर्स

शख्स के पास वीडियो कॉल आती है, जिसमें बताया गया कि आपके आधार कार्ड से केनरा बैंक में अकाउंट खोला गया है और इसमें अवैध लेन-देन किया गया है. इस संबंध में आपको तिलक नगर थाने में मौजूद होना होगा. इसके साथ ही शख्स के पास एक लिंक भी भेजा गया जिसे खोलने के बाद SEBI, ED और CBI के दिशा-निर्देश की एक PDF कॉपी और मनी लॉन्ड्रिंग केस का एक डॉक्यूमेंट मिला. इस तरह दिनेश से 89 लाख 90 हजार रुपये ठग लिए गए. 

अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि इस तरह के स्कैम से कैसे बचा जा सकता है. आपके लिए यह जरूरी है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें. इसके साथ ही किसी धमकी भरी कॉल के आने पर धैर्य से काम लें. स्कैमर्स मासूम लोगों को फंसाने के लिए कई तरह के हथकंडे इस्तेमाल करते हैं. इस तरह आपको स्मार्ट तरीके से काम लेना होगा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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