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आज भी रहेगा Microsoft Outage का असर! जानें ठीक होने में अभी लगेगा कितना समय?

Microsoft Global Outage: माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में तकनीकी खराबी आने की वजह से दुनियाभर में टीवी टेलीकास्ट, बैंकिंग और कई कार्पोरेट कंपनियों का काम ठप पड़ गया है. इस आउटेज की वजह भी सामने आ गई है. कंपनी के मुताबिक, दुनियाभर में हुए इस ग्लोबल आउटेज के पीछे फाल्कन सॉफ्टवेयर को वजह बताया जा रहा है. माइक्रोसॉफ्ट फाल्कन सॉफ्टवेयर का यूज करता है.

अपडेट के बाद फाल्केन जहां-जहां इस्तेमाल किया गया, सभी जगह दिक्कतें आनी शुरू हो गई. इसका सबसे ज्यादा असर एविएशन सेक्टर में देखने को मिला. 

भारत में कई सारी जगहों पर भी आउटेज की वजह से फ्लाइट कैंसिल कर दी गईं. आज भी लोगों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से इसे जल्द सही करने की बात कही जा रही है. लेकिन अभी तक इस बात का पता नहीं चला है कि इस गड़बड़ी को सही होने में कितना समय लगेगा. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे सही होने में अभी समय लगेगा.

आज भी फ्लाइट सेवाएं रहेंगी प्रभावित 

एंटीवायरस प्रोग्राम में अपडेट के चलते शुरु हुई ये गड़बड़ी की वजह से आज भी लोगों को मुश्किलों से दो चार होना पड़ रहा है. एयरलाइन कंपनियों के मुताबिक आज भी देश के कई राज्यों में फ्लाइट सेवाएं प्रभावित रह सकती हैं. कल तो हालात ऐसे थे कि यात्रियों को हाथ से लिखकर बोर्डिंग पास दिए जा रहे थे. मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद  जैसे बड़े और व्यस्त एयरपोर्ट्स पर कई सारी फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ा था. वहीं कई को तो रिशिड्यूल करनी पड़ी थी.

भारतीय बैंकों पर नहीं पड़ा ज्यादा असर 

देश-दुनिया में कई सारे सेक्टर्स को ग्लोबल आउटेज से जूझना पड़ा. भारत में भी इसका असर देखने को मिला है. अगर हम वित्तीय संस्थानों की बात करें तो आरबीआई के मुताबिक देश के 10 बैंको और वित्तीय कंपनियों के कामकाज में मामूली व्यवधान पैदा हुआ, जिसे समय के साथ मैनेज कर लिया गया.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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