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लॉरेंस बिश्नोई ने क्यों कराई सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग? सामने आई असल वजह

Salman Khan House Firing Case: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. इस केस में दायर चार्जशीट पर पहली बार मुंबई पुलिस के अधिकारी ने एबीपी न्यूज से बातचीत की है. इस दौरान अधिकारी ने बताया कि इस केस की चार्जशीट में क्या लिखा है. मुंबई क्राइम ब्रांच के डीसीपी दत्ता नालावड़े ने बताया कि यह चार्जशीट 1700 से ज्यादा पन्नों की है.

डीसीपी दत्ता नालावड़े की मानें तो सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग मामले में दायर इस चार्जशीट में सलमान और उनके भाई अरबाज खान के बयान भी दर्ज हैं. नालावड़े ने आगे बताया कि लॉरेंस बिश्नोई की गैंग कैसे काम करती है. उन्होंने आगे खुलासा किया कि ये लोग कैसे दूसरे लोगों को अपनी गैंग में जोड़ते हैं और आखिर क्यों वो सलमान खान को अपना निशाना बना रहा था.

लोगों में डर बिठाना चाहता था लॉरेंस बिश्नोई!
मुंबई पुलिस के अधिकारी डीसीपी दत्ता नालावड़े ने कहा कि लॉरेंस बिश्नोई मुंबई के लोगों के दिलों में अपना डर बिठाना चाहता था. इसीलिए उसने सुपरस्टार सलमान खान के घर पर फायरिंग की साजिश रची और अपने शूटरों को भेज कर फायरिंग कराई. नालावड़े ने बताया कि लॉरेंस बिश्नोई ऐसे लोगों को रिक्रूट करता है जो किसी न किसी माध्यम से उसकी गैंग के लोगों से मिलते हैं. इसके बाद उन्हें पहले कोई छोटा काम दिया जाता है और फिर बड़ा काम सौंपा जाता है. बिश्नोई अपने गैंग के लोगों को इस बात की तसल्ली देता है कि उन्हें वो उन्हें बड़ा नाम बनाएगा और अगर वो कहीं फसते हैं तो उन्हें वकील भी दिलाएगा.

क्या है मामला?
बता दें कि इसी साल 14 अप्रैल को दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने सलमान खान के गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर गोलियां चलाई थीं. इस मामले में पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें अनुज थापन नाम का आरोपी भी शामिल था जिसने 1 मई को पुलिस हिरासत में फांसी लगा ली थी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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