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सिगरेट की लत में इस एक्टर ने बिगाड़ी जवानी, छोड़ने में लग गए सालों

World No Tobacco Day: तंबाकू पर रोक के लिए हर साल 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया जाता है. धूम्रपान या तंबाकू का इस्तेमाल करना बेहद नुकसानदेह है. तंबाकू कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को बुलावा देती है. तंबाकू में मौजूद निकोटिन हल्का उत्तेजित होने की वजह से लोग इसका बड़ी मात्रा में सेवन करते हैं. लेकिन इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं.

आम लोगों के साथ ही कई मशहूर सेलेब्स भी सिगरेट पीते हैं. इन्ही में से एक नाम मॉडल और अभिनेता पूरब कोहली का भी है. विश्व तंबाकू दिवस से ठीक पहले पूरब ने बताया कि महज 15 साल की उम्र में उन्होंने इसका सेवन शुरू कर दिया था. 

सिगरेट से पीछा छोड़ना था मुश्किल!
पूरब सालों तक तंबाकू का सेवन करते रहे. हालांकि वे इसे छोड़ने की भी भरसक कोशिश करते थे. लेकिन धूम्रपान उनका पीछा नहीं छोड़ता था. हिन्दुस्तान टाइम्स को पूरब ने विस्तार से तंबाकू के अपने अनुभव और बुरी आदत के बारे में बताया है.


15-16 साल की उम्र में शुरू किया सिगरेट पीना
पूरब कोहली ने कहा कि, ‘मैं लगभग 15-16 साल का था. हम हमेशा से जानते हैं कि धूम्रपान बुरा है और हमने पहले ही कुछ भयानक कहानियां सुनी थीं इसलिए हमें पता था कि हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो अच्छा नहीं है. उस समय धूम्रपान मर्दाना चीज के तौर पर अच्छा लगता था लेकिन मैंने इसे सिर्फ अच्छा महसूस करने के लिए शुरू किया.’

सिगरेट छोड़ने के लिए लिख ली थी तारीख
कोहली ने आगे कहा, ‘मुझे धूम्रपान करते हुए 10 साल हो गए थे, मैंने सोचा कि मैं इसे छोड़ना चाहता हूं. मैं देख सकता था कि जब मैं काम को लेकर टेंशन में होता था तो मैं इसे और भी ज्यादा करता था. मैं एक ऐसे पॉइंट पर पहुंच गया था जहां मैं कोशिश करना चाहता था और यह देखना चाहता था कि क्या मैं वाकई में ये कर सकता हूं.’

उन्होंने कहा- ‘मैंने खुद से कहा, मैंने 10-12 साल तक धूम्रपान किया है, क्या मैं एक साल तक धूम्रपान नहीं कर सकता? मैंने तारीख भी लिख ली थी. मैंने उससे भी खुद को प्रेरित रखा और मैं काफी कमेंट करता हूं, जब मैं कोई फैसला लेता हूं, तो मैं उस पर कायम रहता हूं.’


हाथ में रखता था सिगरेट, जलाता नहीं था
पूरब आगे कहते हैं, ‘मैं बस एक सुबह उठा और कहा कि मुझे रुकना होगा. मैंने धूम्रपान बंद कर दिया, लेकिन यह बहुत मुश्किल था. मैंने एक सिगरेट खरीदी और मैं उसे अपने हाथ में रखता था और कभी नहीं जलाता था. मैं उसे अपने हाथ में पकड़ लेता था और बिना जलाए उस पर कश लगाता था और धीरे-धीरे उसे चाहने की फीलिंग खत्म हो गई. यहां तक ​​कि जिन दुकानों से मैं इसे खरीदता था, जब भी मैं उनके पास जाता था तो मुझे धूम्रपान करने का मन होता था. मुझे एहसास होने लगा कि मुझे तंबाकू की कितनी बुरी लत है.’

एक्टर ने बताया, ‘मैं काफी मजबूत इरादों वाला हूं. अगर मैं कोई फैसला लेता हूं तो उस पर कायम रहता हूं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘एक प्रोजेक्ट में काम करने के लिए उन्हें फिर से सिगरेट उठानी पड़ी थी. पूरब के मुताबि, ‘मैंने उसके बाद 3-4 साल तक धूम्रपान नहीं किया, लेकिन एक भूमिका थी जिसके लिए मुझे सिगरेट पीनी पड़ी और फिर मैंने अपने अर्ली 30s में थोड़े समय के लिए फिर से धूम्रपान करना शुरू कर दिया. मुझे पहले से ही पता था कि मैं एक बार रुक चुका हूं और वर्कआउट करते समय इससे कितना फर्क पड़ता है.’

दूसरी बार हमेशा के लिए छोड़ दी सिगरेट
कोहली आगे कहते हैं, ‘दूसरी बार मैंने हमेशा के लिए उसे छोड़ दिया. एक बार जब आप शुरुआती 6-7 महीने पार कर लेते हैं, तो यह बेहतर हो जाता है. आपको नींद महसूस होती है, और जब आप इसे छोड़ने की कोशिश करते हैं तो आपका वजन भी बढ़ने लगता है. मुझे याद है कि कुरकुरे, खाने के लिए मैं गाजर और खीरा खाता था ताकि मुझे ज्यादा खाने की इच्छा न हो. इससे मुझे अच्छी आदतें बनाने में मदद मिली. मेरी स्किन अब बेहतर दिखती है और मेरे दिमाग को बहुत आराम मिला है. गहरी और आरामदेह सांसें, वाह! मुझे इतनी खुशी महसूस होती है कि मुझे अब वह लालसा महसूस नहीं होती है, मुझे आखिरी बार धूम्रपान किए हुए 13-14 साल से ज्यादा समय हो गया है.’

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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